राजस्थान सरकार जल्द ही किसानों को खास तोहफा देने जा रही है. कारण, सरकार कम लागत और कम समय में कृषि क्षेत्र में फसलों की निगरानी करने और रसायनों के छिड़काव के लिए ड्रोन मुहैया कराने जा रही है. इसके लिए दो साल में हायरिंग सेंटरों पर करीब 1500 ड्रोन की व्यवस्था की जाएगी. इसका लाभ कम आय वाले किसान ले सकेंगे. अधिकारियों की मानें तो इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा. जो किसान एडवांस ड्रोन खरीद नहीं सकते, ऐसे किसानों को सरकार इन्हें किराए पर देगी.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक प्रमुख सचिव कृषि एवं उद्यानिकी दिनेश कुमार ने बताया कि दुनिया भर में खेती से जुड़े कामों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य में भी सरकार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसान अपनी आय और उपज बढ़ा सकें. राज्य के प्रगतिशील किसानों ने पहले ही कृषि में ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है. आने वाले समय में कृषि में ड्रोन की मांग और उपयोगिता में भारी बढ़ोतरी होगी.
बता दें कि वर्तमान में भारत में अधिकांश किसान कीटनाशकों का छिड़काव या तो हाथ वाली मशीनों से करते हैं या ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रेयर की मदद से करते हैं. हालांकि इससे किसानों को अधिक कीटनाशकों और पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है, क्योंकि इसका काफी सारा हिस्सा हवा में उड़ जाता है. अधिकारियों की मानें तो ड्रोन की मदद से किसानों को कम पानी और कम कीटनाशकों की जरूरत पड़ेगी.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पारंपरिक छिड़काव की तुलना में ड्रोन से छिड़काव कर 70 से 80 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है. कृषि आयुक्त काना राम ने कहा, "खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता ड्रोन के जरिए आसानी से लगाया जा सकता है. फसल की सिंचाई पर निगरानी, फसल स्वास्थ्य निगरानी, कीड़ों का विश्लेषण, फसल खराब होने का आकलन, टिड्डी नियंत्रण, रासायनिक छिड़काव ऐसे कार्य हैं, जिन्हें ड्रोन के जरिए बेहतर तरीके से किया जा सकता है
गौरतलब है कि पिछले बुधवार को कृषि विभाग द्वारा ड्रोन के सफल प्रयोग को दर्शाने के लिए जोबनेर के जोशीवास गांव में राज्य स्तरीय ड्रोन तकनीक का लाइव डेमो दिया गया. इस दौरान कृषि मंत्री लालचंद कटारिया में भी मौजूद रहे थे. दरअसल, ड्रोन के लचीलेपन से Fertilizers और कीटनाशकों का पारंपरिक छिड़काव की तुलना में आसान तरीके से छिड़काव करने में मदद मिलती है. कृषि विशेषज्ञ शिवपाल सिंह राजावत का कहना है कि उत्पादकता और फसल की उपज बढ़ाने के लिए वर्तमान कृषि पद्धतियों को एडवांस करना बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है.