कम जगह में ऐसे पशु को पालने का विचार कर रहे हैं, जिसके रखरखाव का खर्च कम हो और मुनाफा भी ठीक-ठाक हो तो भेड़ पालन (Sheep Rearing) एक अच्छा विकल्प हो सकता है. भेड़ पालन में कम मेहनत, कम खर्च होता है. दरअसल, भेड़ पालने के लिए महंगे आवास की जरूरत नहीं होती और आहार सरल होता है. इसके साथ ही मुनाफा भी ठीक-ठाक होता है.
हालांकि, हर जानवर की तरह भेड़ों को पालने के लिए भी कुछ बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है. भेड़ों की किस नस्ल से कैसे लाभ लिया जा सकता है, भेड़ क्या खाती हैं आदि. भेड़ों से ऊन, मांस, दूध का व्यापार किया जा सकता है. ताजा आंकड़ों की बात करें तो देश में 20वीं पशु गणना के मुताबिक, देश में 10.26 मिलियन भेड़ हैं.
भेड़ों की प्रमुख नस्लों से ऐसे कमा सकते हैं मुनाफा
भेड़ की प्रजाति | फायदा |
लोही, कूका, गुरेज | दूध के लिए |
हसन, नैल्लोर, जालौनी, मांड्या, शाहवादी, बजीरी | मांस के लिए |
बीकानेरी, बैलारी, चोकला, भाकरवाल, काठियावाड़ी, मारवाड़ | ऊन के लिए |
भेड़ पालना सरल इसलिए है क्योंकि भेड़ें आकार में छोटी होती हैं. कम स्थान में आराम से रह सकती हैं. जल्दी बड़ी हो जाती हैं. इतना ही नहीं ये मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लेती हैं, हर तरह की जलवायु में भेड़ों को पाला जा सकता है.
भेड़ पालन के वक्त किन बातों का रखें ध्यान
बता दें कि 12X15 की जगह में आप 50 से 60 भेड़ पाल सकते हैं. इनके खुर नाजुक होते हैं, तो फर्श को कच्चा ही रखें. भेड़ों को कोई बीमारी ना हो, इसलिए टीकाकरण का विशेष ध्यान रखना होगा.