मिट्टी की लगातार गिरती गुणवत्ता और उससे जनित रोगों को देखते हुए पिछले कुछ सालों में भारत में खेती की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं. आजकल छत और बालकनी या किसी भी सीमित जगह का इस्तेमाल कर फल और सब्जियों को उगाने का चलन बढ़ा है. ऐसे में हाइड्रोपोनिक फार्मिंग इसके लिए उपयुक्त तकनीक है. इस तकनीक की खासियत ये है कि इसमें पौधे को लगाने से लेकर विकास तक के लिए मिट्टी की कहीं भी जरूरत नहीं है और लागत अन्य तकनीकों के मुकाबले बेहद कम है.
भोपाल की रहने वाली साक्षी भारद्वाज माइक्रो बायोलॉजी में पीएचडी कर रही हैं. वह खुद हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने के साथ-साथ इसपर रिसर्च भी कर रही हैं. वह कहती हैं कि खेतों में कई तरह के फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है. ऐसे में वहां उगने वाली फसलों और सब्जियों का सेवन हमारे लिए बेहद नुकसानदायक होता है. ऐसी स्थिति में आप हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का उपयोग कर घर पर ही किसी भी जगह सब्जियां या फल लगा सकते हैं. ये सब्जियां पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होती है, साथ ही बेहद पौैष्टिक भी होती हैं.
हाइड्रोपोनिक तरीके से फार्मिंग के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है. केवल अपनी जरूरत के हिसाब से इसका सेटअप तैयार करना पड़ता है. एक या दो प्लांटर सिस्टम से भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं या फिर बड़े स्तर पर 10 से 15 प्लांटर सिस्टम भी लगा सकते हैं. इसके तहत तहत आप गोभी, पालक, स्ट्राबेरी, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर, तुलसी, लेटस सहित कई अन्य सब्जियाें और फलों का उत्पादन कर सकते हैं.
सबसे पहले एक कंटेनर या एक्वारियम लेना पड़ेगा. उसमें एक लेवल तक पानी भर दें. कंटेनर में मोटर लगा दें, जिससे पानी का फ्लो बना रहे. फिर कंटेनर मे इस तरह पाइप फिट करें, जिससे उसके निचले सतह पर पानी का फ्लो बना रहे. पाइप में 2-3 से तीन सेंटिमीटर के गमले को फिट करने के लिए होल करवा लें. फिर उन होल में छोटे-छोटे छेद वाले गमले को फिट कर दें.
गमले में पानी के बीच बीज इधर उधर ना जाए, इसके लिए इसे चारकोल से चारो ओर से कवर दें . जिसके बाद गमले में नारियल की जटों का पाउडर डाल दें, फिर उसके ऊपर बीज छोड़ दें. दरअसल नारियल की जटों का पाउडर पानी को काफी अच्छी तरह से ऑब्जर्व करता है, जो पौधों के विकास के लिए काफी फायदेमंद होता है. वहीं इस दौरान प्लांटर में मछली का पालन भी कर सकते हैं. दरअसल, मछलियों के अपशिष्ट पदार्थ को पौधों के विकास में काफी सहायक माना जाता है.
साक्षी भारद्वाज कहती हैं कि अगर आप इससे भी कम मेहनत और लागत में सब्जियों और फलों उगाना चाहते हैं तो एक फाइबर का कंटेनर भी ले लें. उसमें एक लेवल तक ही पानी भरें. उसके ऊपर ट्रे रख दें, जिसमें छोटे-छोटे छेद हो. फिर जिस सब्जी या फल को लगाना चाहते हैं, उसके बीज को ट्रे पर डाल दें और छोड़ दें. पानी से पोषण पाकर कुछ ही दिन में पौधा निकल आएगा. इसके निकलने के बाद पौधे की जड़े ट्रे के छेद के रास्ते पानी तक जब पहुंचने लगेंगी तो तेजी से उसका विकास होने लगेगा.
हाइड्रोपोनिक फार्मिंग एक विदेशी तकनीक है. विदेशों में इसे उन पौधों को उगाने में उपयोग किया जाता है, जो काफी संवेदनशील होते हैं और मिट्टी जनित रोगों के शिकार हो जाते हैं. अब धीरे-धीरे यह तकनीक भारत में बेहद लोकप्रिय हो रहा है. इस सेटअप करने से पहले जरूर ध्यान रखें कि कंटेनर तक धूप की पर्याप्त पहुंच हो, नहीं तो पौधे का विकास प्रभावित होगा.
साक्षी के मुताबिक हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का उपयोग व्यवसायिक तौर पर भी किया जा सकता है. इसके लिए आपको बड़े सेटअप की जरूरत पड़ेगी. बड़े सेटअप में लागत जितनी आएगी मुनाफा भी उतना ही होगा. दरअसल कई विदेशी पौधों को भारत का जलवायू सूट नहीं करता है, उन्हें इस तकनीक के माध्यम से उगाया जा सकता है. ये सब्जियां या फल बाहर काफी महंगे बिकते है, जिससे आप बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.