Opium Cultivation: भारत में कई तरह के ऐसे पौधे पाए जाते हैं जिनका उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है. अफीम की खेती भी उसी श्रेणी में आती हैं. हालांकि इस पौधे की खेती हर कोई नहीं कर सकता. इसके लिए आपको सरकार से मान्यता लेनी पड़ेगी और इसको लेकर सरकार के बनाए गए नियमों का पालन करना होगा. कानूनी मान्यताओं के अनुसार अफीम की खेती का उपयोग केवल औषधि निर्माण में किया जाना है.
पहले इसकी खेती भारत के कुछ ही इलाकों तक सीमित थी. अब धीरे-धीरे खराजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इसका फसलीकरण किया जाने लगा है. इसके पौधे में आने फल को डोडा भी कहते है. यह फल खुद ही फट जाता है और इसके अंदर सफेद आकार वाले छोटे बीज पाए जाते हैं.
बता दें कि अफीम की खेती हर कोई नहीं कर सकता है. यह एक नशीला पदार्थ है. इसकी खेती के लिए किसानों को नारकोटिक्स विभाग से अनुमति लेनी होती है. बिना इजाजत के इसकी खेती करने पर आपके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.
अफीम की बुवाई के 100 से 115 दिनों के अंदर पौधे से फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसके बाद फूलों से 15 से 20 दिनों में डोडा निकलना शुरू हो जाता है. इस डोडे पर चीरा लगाया जाता है. चीरा लगाने के बाद इसमें से एक तरल पदार्थ बाहर निकल कर आता है. ध्यान रखना है ये प्रकिया धूप निकलने से पहले ही पूरा कर लिा जाए. जब तक फसल से तरल निकलना बंद नहीं हो जाता है, इस प्रकिया को अपनाया जाता है. डोडे से जब पूरा तरल पदार्थ निकल आता है तो उसके अंदर से बीज को बाहर निकाल दिया जाता है. और इस उपयोग आगे चलकर औषधि के रूप में होता है.