Aloe Vera Farming: एलोवेरा की डिमांड घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजार में है. इसकी बड़ी वजह उसका उपयोग है. एलोवेरा का उपयोग चिकित्सा और कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट में किया जाता है. ऐसे में जो लोग इसकी खेती करते हैं वह अच्छा प्रॉफिट कमाते हैं. आप भी एलोवेरा की खेती कर सकते हैं. एलोवेरा की खेती की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए सिर्फ एक बार इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है और इन पौधों से आप 5 साल तक लाभ कमा सकते हैं.
एक बार पौधा लगाने के बाद आप अपने पौधों से निकलने वाले बेबी प्लांट को दूसरी जगह लगा सकते हैं और इस तरह आपके पौधों की संख्या बढ़ती चली जाती है. एक एलोवेरा का पौधा 3 से 4 महीने में बेबी प्लांट देता है. कॉस्मेटिक प्रोडक्ट हो या आयुर्वेद दवा सभी जगह एलोवेरा की मांग बहुत ज्यादा है. ऐसे में आप आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण करने वाली कंपनियों या कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को एलोवेरा की पत्तियां बेच सकते हैं.
एलोवेरा की कई प्रजातियां होती हैं, जिसमें इंडिगो सबसे आम है जो आम तौर पर घरों में देखने को मिल जाता है. लेकिन इसकी एलोवेरा बार्बाडेन्सीस प्रजाति काफी लोकप्रिय है. किसान बार्बाडेन्सीस प्रजाति लगाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि इसकी पत्तियां बड़ी होती है और इसमें से ज्यादा जेल निकलता है.
यदि एक एकड़ में एलोवेरा की खेती की जाए तो हर साल तकरीबन 20 हजार किलो ग्राम एलोवेरा का उत्पादन होता है. एलोवेरा की ताजी पत्तियों को बेचने पर इसका भाव 5 से 6 रुपये प्रति किलो मिलता है. एक बीघा खेत में किसान एलोवेरा के 12 हजार पौधे लगा सकते हैं. यानी एक बीघे के खेत में एलोवेरा की खेती के लिए आपको करीब 40 हजार रुपये का खर्च आएगा.
एलोवेरा के एक पौधे से 3.5 किलो तक पत्ते मिलते हैं और एक पत्ते की कीमत 5 से 6 रुपये तक होती है. वैसे औसतन एक पौधे पत्ते 18 रुपये तक में बिक जाते हैं. ऐसे में किसान 40 हजार रुपये का निवेश करके सवा दो लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है. यानी एलोवेरा की खेती से कुल 5 गुना फायदा कमाया जा सकता है.
एलोवेरा की खेती में बुवाई फरवरी से अक्टूबर-नवंबर तक कर सकते हैं. सर्दिंयों में इसकी बुवाई नहीं की जाती है. पौधे लगाते समय दो पौधों के बीच में 2 फुट की दूरी होनी चाहिए. पौधा लगाने के बाद किसान साल में दो बार इसके पत्तों की कटाई कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं.
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