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Cucumber Farming: गर्मियों में बढ़ती जाएगी खीरे की डिमांड, इसकी खेती कर किसान हो जाएगा मालामाल!

Cucumber Cultivation: खीरे की सबसे खास बात यह है कि इसे किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है. इसके लिए किसी खास मिट्टी का जरूरत नहीं होती है. बता दें कि खीरे में ठीक-ठाक पानी की मात्रा मानी जाती है. ऐसे में गर्मियों में इसकी खपत बढ़ जाती है. इस फसल को तैयार होने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है.

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Cucumber Farming
Cucumber Farming
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सभी तरह की मिट्टी में लगाई जा सकती है फसल
  • 60 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है  खीरे की फसल

Cucumber Farming Profit: भारत में कई ऐसी फसलें हैं जो बेहद कम वक्त में बढ़िया मुनाफा दे जाती हैं. हालांकि, आभाव की जानकारी में किसान इन फसलों की खेती ठीक से नहीं कर पाते हैं और अपना ही नुकसान कर बैठते हैं. खीरे की खेती भी कुछ इसी तरह की फसल है. इसकी बुवाई कर किसान कम लागत में बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

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खीरे की सबसे खास बात यह है कि इसे किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है. इसके लिए किसी खास मिट्टी का जरूरत नहीं होती है. बता दें कि खीरे में ठीक-ठाक पानी की मात्रा मानी जाती है. ऐसे में गर्मियों में इसकी खपत बढ़ जाती है. इस फसल को तैयार होने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है. विशेषज्ञों का मानना है खीरे की फसल 60 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है. ऐसे में इस वक्त किसान इस फसल की बुवाई कर अच्छा-खासा पैसा कमा सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में रहने वाले किसान राहुल सिंह कहते हैं कि खीरे की खेती को लेकर किसानों को अधिक सोचने की जरूरत नहीं होती है. इसे खेतों में लगा सकते हैं. अगर आपके पास खेत ना हो तो इसे नदियों और तालाबों के किनारे भी उगाया जा सकता है. हां किसानों को इतना जरूर ध्यान रखना चाहिए कि इसकी खेती करने वाली जगह पर जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए.

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राहुल सिंह आगे बताते हैं कि खीरा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. शरीर में पानी की कमी की स्थिति में डॉक्टर भी इसके सेवन की सलाह देते हैं. इसके अलावा भी सलाद के तौर पर लोग इसका सेवन करते हैं. ऐसे में इसको खीरे को बेचने के लिए ज्यादा मशक्कत की जरूरत भी नहीं पड़ती है. ज्यादातर लोग तो खेतों से ही ले जाते हैं. इसके बाजार में आते ही ये बिक जाती है. ऐसे में किसान देर तक खीरे को स्टोर करने की समस्या से भी छुटकारा पा जाते हैं. साथ ही में खीरे को इतना नुकसान भी नहीं होता.

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