Fruit orchard: किसानों के बीच पिछले कुछ सालों में फलों के बाग लगाने का चलन बढ़ा है. सरकार भी किसानों को ऐसा करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक फलों के बाग लगाने से किसान बेहद कम वक्त में ज्यादा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कई राज्य सरकारें फलों के बाग लगाने के लिए सब्सिडी भी प्रदान करते है.
बाग लगाने के दौरान किसान इस बात का जरूर ध्यान रखें कि पेड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो. ध्यान रखें कि फलों के बगीचों के लिए गहरी, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी ज्यादा अच्छी रहती है. जमीन में अधिक गहराई तक कोई भी सख्त परत नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा मिट्टी के बीच में भरपूर मात्रा में खाद होनी चाहिए.
इन फलों के बाग की कर सकते हैं खेती
गर्म जलवायु में खासतौर से अनार, आम, पपीता, करौंदा, आंवला, नीबू, मौसम्बी, माल्टा, संतरा, अनार, बेल, बेर व लसोड़ा आदि फलों की खेती आसानी से की जा सकती है. जिन भागों में पाले का ज्यादा असर रहता है, उन इलाकों में आम, पपीता व अंगूर के बाग नहीं लगाने चाहिए. अधिक गरमी व लू वाले इलाकों में लसोड़ा व बेर के पेड़ लगाने चाहिए. अधिक नमी वाले इलाकों में मौसमी, संतरा व किन्नू के पेड़ लगाने चाहिए.
गर्म व ठंडी हवाओं और अन्य कुदरती दुश्मनों से रक्षा करने के लिए खेत के चारों ओर देशी आम, जामुन, बेल, शहतूत, खिरनी, देशी आंवला, कैथा, शरीफा, करौंदा, इमली आदि फलों के पेड़ लगाने चाहिए. इन से कुछ आमदनी भी होगी व खेत गरम व सर्द हवाओं से भी बचा रहेगा.
फलों के बाग लगाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
बगीचा लगाने से पहले सिंचाई कैसे होगी, इस पर ध्यान देना जरूरी है. पानी की कमी वाले इलाकों में बूंद-बूंद सिंचाई विधि का इस्तेमाल करना चाहिए, जिस से पानी व मेहनत दोनों की बचत होगी और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी मिलने के कारण पैदावार में बढ़ोतरी होगी. पौधों की रोपाई की शुरुआत जुलाई- अगस्त में शाम के समय करनी चाहिए. पौधा लगाने के बाद सिंचाई करें व जरूरत के हिसाब से पानी देते रहें. पैबंद के नीचे से निकलने वाली शाखाओं व रोग लगी शाखाओं को हटाते रहें. इसके अलावा जलनिकासी का भी सहीं इंतजाम किया जाना चाहिए. जलजमाव की वजह से पेड़ों के जड़ों में पानी लगने से उनके फलों के मिठास में कमी आ जाती है.