Avocado Farming Profit: देश के कई राज्यों में पिछले कुछ सालों से पारंपरिक फसलों को छोड़ नई किस्म की फसलों की खेती की तरफ लोगों ने तेजी से रुख किया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह परंपरागत फसलों में कम होता मुनाफा रहा है. हाल फिलहाल में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में एवोकैडो की खेती का चलन बढ़ा है.
खेती के लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त
एवोकैडो में काफी ज्यादा पोषक तत्व पाया जाता है. विशेषज्ञ इसे कई तरह की बीमारियों में सेवन करने की सलाह देते हैं. ऐसे में बाजार में भी इस फल की मांग ठीक-ठाक बनी रहती है. बता दें एवोकैडो की खेती के लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त होते हैं. ठंड प्रदेशों में इसकी खेती करना नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसके अलावा इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 5 और 7 के बीच होना चाहिए.
5-6 साल में फल देना शुरू कर देते हैं
बीज से उगाए गए एवोकैडो पौधे लगाए जाने के पांच से छह साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं. बैंगनी किस्मों के परिपक्व फल बैंगनी से मैरून हो जाते हैं, जबकि हरी किस्मों के परिपक्व फल हरे-पीले हो जाते हैं. जब फल के भीतर बीज आवरण का रंग पीले-सफेद से गहरे भूरे रंग में बदल जाता है, तो फल कटाई के लिए तैयार हो जाता है. कटाई के छह से दस दिन बाद पके फलों को तैयार कर लें. फल तब तक कठोर होते हैं जब तक वे पेड़ों पर होते हैं, कटाई के बाद वे नरम होने लगते हैं.
प्रमुख व्यवसायिक फसल के रूप में हो सकता है तैयार
प्रति पेड़ उपज 100 और 500 फलों के बीच भिन्न होती है. सिक्किम में जामुनी किस्म के फलों की कटाई जुलाई के आसपास की जाती है. जबकि हरी किस्म के फलों की कटाई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है. भारत में इस फल की बाजार तेजी से विकसित हो रहा है. अन्य राज्यों में भी अब किसान इसकी खेती की तरफ रुख करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले वक्त में इसे एक प्रमुख व्यवसायिक फसल के रूप में देखा जा सकता है.