Henna farming business idea: पारंपरिक खेती से हटकर अगर किसानी की जाए तो किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है. इसके बावजूद खेती-किसानी को मुनाफा ना देने वाला सेक्टर माना जाता है. इसकी बड़ी वजह फसल की सही कीमत नहीं मिलना है. लेकिन कई ऐसे किसान भी हैं, जो पारंपरिक खेती से हटकर लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं.
ऐसे कई पेड़-पौधे हैं जिनकी खेती कर किसान मालामाल हो सकते हैं. मेंहदी (Henna) इन में से एक है. मेंहदी की खेती पत्तियों के लिए की जाती है. इसमें 'लासोंन' नाम का रंजक यौगिक होता है. जो बाल और शरीर को रंगने के लिए उपयोग किया जाता है. शुभ अवसरों पर मेंहदी की पत्तियों को पीस कर सौन्दर्य के लिए हाथ व पैरों पर लगाते है. सफेद बालों को रंगने के लिए भी मेंहदी की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है. इसका सिर पर प्रयोग करने से डेंड्रफ की समस्या भी दूर हो जाती है. इसकी पत्तियां चर्म रोग में भी उपयोगी है.
पूरे देश में मेहंदी की खेती की जाती है. लेकिन राजस्थान का पाली जिला इसके उत्पादन का मुख्य केन्द्र है. यहां करीब 40 हजार हेक्टर भूमि पर मेंहदी की फसल उगायी जाती है. पाली जिले के सोजत व मारवाड़ जंक्शन में मेंहदी की मंडी और पत्तियों का पाउडर बनाने तथा पैकिंग करने के कई कारखाने है.
मानसून में खेत की मेंड बांध कर खेत को समतल करें. इसके बाद डिस्क व कल्टीवेटर से जुताई कर भूमि को भुरभुरा बना लें. खेत की अंतिम जुताई के समय 10 - 15 टन सड़ी देशी खाद डाल सकते हैं. वैसे तो मेंहदी विभिन्न तरह की जलवायु में उगाई जा सकती है लेकिन इसका पौधा शुष्क से उष्णकटिबंधीय और सामान्य गर्म जलवायु में अच्छी वृद्धि करता है.
मेंहदी के पौधों को आप तैयार कर सकते हैं या नर्सरी से इसके पौधे आसानी से मिल जाते हैं. व्यवसायिक खेती के लिए पौध रोपण विधि ही सर्वोत्तम है. एक हेक्टर भूमि पर पौध रोपण के लिए करीब 6 किलो बीज द्वारा तैयार पौध पर्याप्त होती है. इसकी क्यारियां अच्छी तरह तैयार कर मार्च माह में बीज की बुवाई करें.
मेहंदी के पौधे साल भर में तैयार हो जाते हैं. अप्रैल से इनमे फूल आना शुरू हो जाता है. एक बार स्थापित हो जाने पर इसकी झाड़ी 20 से 25 साल तक टीके रहती है. मेंहदी की 2 पंक्तियों के बीच खरीफ व रबी ऋतु में दलहन तथा अन्य कम ऊंचाई वाली फसलें उगाकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
पहले साल में मेंहदी की उपज क्षमता का केवल 5-10% उत्पादन ही प्राप्त होता है. मेंहदी की फसल रोपण के 3-4 साल बाद अपनी क्षमता का पूरा उत्पादन मिलता है. फसल से प्रति वर्ष करीब 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टर सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है.
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