Vetiver Farming: खस यानी वेटिवर. इस झाड़ीनुमा फसल की खासियत सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. सरकार भी एरोमा मिशन स्कीम के तहत इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है. इस स्कीम के तहत सरकार सुगंधित फसलों की खेती करने के लिए सब्सिडी भी देती है.
बता दें कि खस के प्रत्येक भाग जड़-पत्ती और फूल का उपयोग कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. इनका उपयोग महंगे इत्र, सगंधीय पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधनों तथा दवाइयों को बनाने में होता है. फिलहाल देश में गुजरात, तामिलनाडु, कर्नाटक,बिहार और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती बड़े पैमाने में हो रही हैं.
किसी भी जलवायु में की जा सकती है इसकी खेती
इस फसल की सबसे खास बात है कि इसकी खेती किसी भी जलवायु में की जा सकती है. सूखे के साथ-साथ अधिक बारिश होने वाली जगहों पर भी इसकी खेती की जा सकती है. इन्हीं गुणों को देखते हुए यूपी बुंदेलखंड में भी इसकी खेती को बढ़े पैमाने प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके अलावा औषधीय गुण होने की वजह से इसे जानवर भी नहीं खाते हैं, जिससे फसल को नुकसान होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं.
कब करें खेती
खस की खेती आप किसी भी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं. वहीं, ठंड के मौसम को छोड़कर इसकी खेती किसी भी वक्त करना उपयुक्त होता है. इसके अलावा इस फसल को सिंचाई और खाद्य की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. ऐसे में कम देखभाल और कम लागत में ये फसल आपको बंपर मुनाफा दे जाएगा. इसकी फसल 18 से 20 माह में खुदाई योग्य हो जाती. काटे गए उपरी भाग को चारे, ईंधन या झोपड़ियों बनाने के काम में लाया जाता है. वहीं जड़ों से तेल निकालने का काम किया जाता है. खुदाई के समय जमीन में हल्की नमी रहना आवश्यक है.
इतना है मुनाफा
खस की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 60-65 हजार रुपए की आती है. एक एकड़ में आप 10 किलो तक तेल निकाल सकते हैं. इसका एक किलो तेल औसतन 20 हजार रुपए तक बिकता है. ऐसे में एक एकड़ से किसान 2 लाख तक का मुनाफा हासिल कर सकता है. अगर आप ज्यादा एकड़ में इसकी खेती करेंगे तो मुनाफा भी उसी हिसाब से बढ़ता जाएगा.