Lemongrass Farming: भारत में किसानों के आर्थिक हालात सुधारने और जीवनस्तर को बेहतर करने के लिए सरकार की तरफ से तमाम तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं. इसी कड़ी में एरोमा मिशन के तहत सुगंठित पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इन्हीं में से एक प्रयोग है लेमनग्रास की खेती. इस पौधे की सबसे खास बात ये है कि इसे सूखाग्रस्त इलाकों में भी लगाया जा सकता है.
कमाएं बंपर मुनाफा
लेमनग्रास की पत्तियों का प्रयोग परफ्यूम, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर आयल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में किया जाता है. ऐसे में इन प्रोडक्ट्स को बनाने वाली फैक्टरियों में इस पौधे के तेल की काफी मांग होती है. साथ ही एक अनुमान के मुताबिक, भारत हर वर्ष करीब 700 टन नींबू घास के तेल का उत्पादन करता है. इसके तेल को बाहर विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. ऐसे में किसानों के पास इस पौधे की खेती कर लाखों का मुनाफा कमाने का अवसर है.
लेमनग्रास के पौधों की खासियत
लेमनग्रास के पौधे की खास बात ये है कि बंजर से बंजर जमीन पर उगाया जा सकता है. साथ ही इसकी खेती में लागत भी ज्यादा नहीं आती है. गोबर की खाद और लकड़ी की राख और 8-9 सिंचाई में ये पौधा तैयार होकर लहलहाने लगता है. एक बार इस इसके पौधों को लगाने के बाद आप 7 साल तक दोबारा बुआई से छुटकारा पा जाएंगे. हर तीन महीने के अंतराल पर किसान इस पौधे की पत्तियों की कटाई कर पूरे साल बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
लेमनग्रास पौधे इसकी खेती साल में किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन अगर सबसे मुफीद महीने की बात करें तो फरवरी-मार्च या फिर जुलाई का महीना ज्यादा उपयुक्त मानते हैं. बंजर से बंजर जमीन पर इसकी खेती की जा सकती है. इस पौधे की खेती करते समय पौधे से पौधे के बीच दो-दो फीट की दूरी लेनी चाहिए ताकि पूरे फसल की विकास सही तरीके से हो सके.