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Soyabean Farming: यूं ही नहीं काला सोना कहलाता है सोयाबीन, इसकी खेती कर बंपर मुनाफा कमा सकते हैं किसान

Soybean Cultivation: सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है. विशेषकर मध्य प्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है. यहां लोग इस फसल को काला सोना भी बोलते हैं. अगर सही तरीके से सोयाबीन की खेती की जाए तो किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.

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Soybean Farming
Soybean Farming
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सोयाबीन से किया जाता तेल उत्पादन
  • स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद

Soyabean Cultivation: धान और मक्के के अलावा सोयाबीन भी खरीफ की मुख्य फसलों में गिना जाता है. सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है. इसके अलावा इससे तेल निकालने का काम किया जाता है. अगर सही तरीके से इस फसल की खेती की जाए तो किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.

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सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है. विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है. यहां लोग इस फसल को काला सोना भी बोलते हैं. मध्य प्रदेश के ्अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र में भी इस फसल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा सोयाबीन का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. एनीमिया की बीमारी से पीड़ित मरीजों को अक्सर डॉक्टर सोयाबीन का सेवन करने की सलाह देते हैं.

इस समय करें सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन की बुवाई वैसे तो जून में ही शुरू हो जाती है, लेकिन इसकी बुवाई के लिए सबसे सही समय जुलाई के पहले दो सप्ताह माने जाते हैं. इसकी खेती दोमट भूमि सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5  होना चाहिए. इस दौरान किसान ध्यान रखें इसकी खेती के लिए जिस भी खेत का चयन किया जा रहा है उसकी जलनिकासी व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए.

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इतने दिनों में तैयार हो जाती है फसल
सोयाबीन की बुवाई मॉनसून के दौरान की जाती है. ऐसे में फसल को सिंचाई की आवश्यकता कम कर पड़ती है. फसल को पकने में 50 से 145 दिनों का समय लगता है. फसलों के पकने का अंतराल उसकी बोई हुई किस्मों पर निर्भर करता है. जब इसकी पत्तियां पीली हो जाएं तो समझ लिजिए फसल कटाई के लिए तैयार है.

कमा सकते हैं बंपर मुनाफा
सोयाबीन की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करके आप एक एकड़ में आसानी से 40-45 क्विंटल तक का पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. कटाई के बाद किसान को अपना बाजार पहचानना बेहद जरूरी हो जाता है. औने-पौने दामों पर सोयाबीन की फसल बेचने के बजाय तेल समेत इससे अन्य कई तरह के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को बेचने से किसान को बंपर मुनाफा हासिल हो सकता है.

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