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Strawberry Cultivation: सिर्फ 40 दिनों में लखपति बना देगी स्ट्रॉबेरी की फसल, जानें कब और कैसे करें इसकी खेती

Strawberry Farming: स्ट्रॉबेरी पहाड़ी क्षेत्रों की फसल मानी जाती है. हालांकि, अब मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती होनी शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बड़े पैमाने पर किसान इस फसल में दिलचस्पी लेने लगे हैं.

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strawberry Farming
strawberry Farming
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त
  • ज्यादा तापमान से फसल को होता है नुकसान

Strawberry Cultivation: परंपरागत फसलों की खेती में किसान हर साल भारी नुकसान झेल रहे हैं. कभी बारिश तो कभी भयंकर सूखे का मार का असर किसानों पर पड़ रहा है. इस साल तो अन्य वर्षों के मुकाबले गेहूं के उत्पादन में भी भारी कमी आई है. यही वजह है कि किसान भारी नुकसान से बचने के लिए नई फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं. हाल फिलहाल देखा गया है कि किसानों ने स्ट्रॉबेरी की फसलों में भी दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया है.

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किन तरीकों से कर सकते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती?

स्ट्रॉबेरी को मुनाफेदार फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. पूरी दुनिया में इसके कुल 600 किस्म मौजूद है, लेकिन भारत में इसकी कुछ ही प्रजातियों की खेती की जाती है. इसकी खेती समान्य तरीकों के साथ-साथ पॉलीहाउस, हाइड्रोपॉनिक्स. हालांकि, इसे ठंडे प्रदेशों की फसल कहा जाता है. लेकिन इसे मैदानी क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.  20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है. तापमान बढ़ने पर स्ट्रॉबेरी पौधों में नुकसान होता है और उत्पादन में गिरावट आता है.

स्ट्रॉबेरी से बनते हैं कई तरह के प्रोडक्ट

स्ट्राबेरी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी पर किया जा सकता है. लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके विकास के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए 5.5 से 6.5 पीएच मान मिट्टी हो तो और भी बेहतर है. बता दें कि स्ट्राबेरी की फसल से जैम, जूस, आइसक्रीम, मिल्क-शेक, टॉफियां बनाने के काम आती है. इसके अलावा कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने में भी इसके फलों का उपयोग किया जाता है.

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कब लगाएं फसल?

हिमाचल प्रदेश के रहने वाले दीपक शांडिल और अशोक कमल 5 से 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती करते हैं. वे बताते हैं कि सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. फरवरी से इसकी प्रकिया हम शुरू कर देते हैं. जून-जूलाई तक इसकी नर्सरी पूरी तरह तैयार हो जाती है. जिसके बाद सितंबर के प्रथम सप्ताह से इसे हम खेतों में लगाना शुरू कर देते हैं. 40 से 50 दिनों में इसकी फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है, जिसके बाद इसकी तुड़ाई शुरू कर दी जाती है 

स्ट्राबेरी की फसल से अच्छी उपज हासिल करना पूरी तरह से जलवायु और पौधों की संख्या पर निर्भर करता है. अगर सही तरीके से पौधों की देखभाल की जाए तो निश्चित ही किसान एक एकड़ में तकरीबन  80 से 100 क्विंटल फलों का उत्पादन कर सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार इसके एक पौधे से 800-900 ग्राम फल प्राप्त हो जाते हैं.

स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद

स्वास्थ्य के लिहाज से स्ट्राबेरी का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है. यह फल विटामिन C एवं विटामिन A और K का काफी अच्छा स्रोत है. चिकित्सकों के अनुसार यह फल रूप निखारने और चेहरे में कील मुँहासे, आँखो की रौशनी चमक के साथ दाँतों की चमक बढ़ाने का काम आते है. इनके आलवा इसमें केल्सियम मैग्नीशियम फोलिक एसिड फास्फोरस पोटेशियम पाया जाता है. यह भी वजह है स्ट्राबेरी के फल बाजार में महंगी कीमतों पर बिकते हैं.

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12 से 13 लाख का मुनाफा

दीपक शांडिल कहते हैं कि एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती में सब कुछ मिलाकर पौधे की कीमत से लेकर मरल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का उपयोग कर 2 से 3 लाख की लागत आ जाती है, जिसके बाद उन्हें लगभग 12 से 15 लाख तक का मुनाफा हो जाता है.

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