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किसानों-महिलाओं की मदद से इस युवक ने खोला स्टार्टअप, हर महीने 3-4 लाख तक का मुनाफा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले दीपक यादव गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं. इस समय लस्सी और आचार का आनलाइन बिजनेस करते हैं. इसके माध्यम से वह अपने तो आत्मनिर्भर बन ही रहे हैं, साथ ही महिलाओं और किसानों को भी आय का साधन उपलब्ध करा रहे हैं.

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A startup for Lassi & Pickels
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्टार्टअप में महिलाओं और किसानों की भी भूमिका
  • सीएम योगी भी कर चुके हैं स्टार्टअप की तारीफ

भारत सरकार की तरफ से युवाओं, किसानों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इस बीच कई ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं, जहां पर युवाओं और किसानों ने इस क्षेत्र में कुछ अलग कर दिखाया है. जिन्हें सरकारों ने सराहा और सम्मानित किया है.

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ऐसे ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले दीपक यादव हैं. जो गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं. इस समय लस्सी और आचार का ऑनलाइन बिजनेस करते हैं. इसके माध्यम से वह आत्मनिर्भर तो बन ही रहे हैं, साथ ही महिलाओं और किसानों को भी आय का साधन उपलब्ध करा रहे हैं. इस काम में उन्होंने अपने पांच दोस्तों को भी साथ जोड़ रखा है.

2019 में की अपने स्टार्ट अप की शुरुआत

दीपक यादव ने 2019 मई जून से गोरखपुर में स्टूडेंट लस्सी से नाम 5 से 6 जगहों पर ठेले का स्टोर खोला. इन ठेलों पर वह कई प्रकार की लस्सी और कुल्फी रखते हैं. दीपक बताते हैं कि लस्सी बनाने के लिए उपयोग होने वाला दही हम सीधे गांवों से पशुओं का पालन करने वाले से खरीदते हैं. इस समय उनके साथ 6 से 8 पशुपालक जुड़े हुए हैं.

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वे इन पशुपालकों से रोजाना बाजार की कीमत पर 50 किलो दही खरीदते हैं. दीपक आगे बताते हैं कि इससे उन्हें शुद्ध दही भी मिल जाती है, साथ ही पशुपालकों को आय का एक साधन मिल जाता है. जिसके बाद दीपक एक बट्टे के हिसाब से लस्सी का दाम तय कर मार्केट में बेचने का काम करते हैं.

कोरोना से हुआ काफी नुकसान

कोरोना महामारी के बीच शहर में लॉकडाउन की वजह से उनकी कमाई का जरिया पूरी तरह बंद हो गया और तकरीबन 5 से 6 महीने ऐसे ही बीत गए. दीपक ने बताया कि उन्होंने हार नहीं मानी और जोमैटो एवं स्विगी की मदद से क्लाउड किचन की शुरुआत की. जिसकी वजह से वह ऑनलाइन व्यापार करके अपनी लागत निकाल पाए हैं.

महिलाओं को भी जोड़ा अपने साथ

इन्हीं सबके बीच दीपक और उनके दोस्तों ने विभिन्न प्रकार के अचार और सिरका गांव की महिलाओं से  बनवाकर ऑनलाइन बेचने का फैसला लिया. दीपक के मुताबिक उन्होंने कुछ गांवों को सेलेक्ट कर रखा है. वहां की महिलाओं को इस काम से जोड़ रखा है. वह इन महिलाओं को अचार और सिरका बनाने का ऑर्डर देते हैं. वह प्रति लीटर सिरका उन महिलाओं से 40-50 रुपये में लेते हैं. वहीं, अचार वे 250-300 रुपये किलो में खरीदते हैं. फिर उसे ऑनलाइन माध्यम से शहर में बेचते हैं. वह बताते हैं कि महीने में एक कुंतल अचार-सिरका और 1500 लीटर लस्सी बाजार में बेच पाते हैं.

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सीएम योगी ने भी की है तारीफ

अभी हाल ही में दीपक को सीएम योगी ने भी सम्मानित किया. वह बताते हैं कि सीएम योगी ने उनका हौसला भी बढ़ाया, साथ ही हर संभव सरकारी मदद देने का आश्वासन भी दिया. दीपक कहते हैं कि सीएम योगी इस बात से खुश हुए कि इस स्टार्टअप से महिलाओं और पशुपालकों को भी सीधे तौर पर फायदा हो रहा है.

लागत, मुनाफा और नुकसान

दीपक यादव बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें लस्सी और अचार के इस बिजनेस से काफी फायदा हुआ. 2 से तीन लाख की लागत पर 4-6 लाख का मुनाफा मिल जाता था. लेकिन वह अब घटकर 3-4 लाख तक ही रह गया है. इसके पीछे कोरोना सबसे बड़ा कारण रहा है. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां सही हो रही हैं, तो लग रहा है कि आने वाले समय में ये मुनाफा फिर बढ़ जाएगा.


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