Organic Farming: यूपी के मिर्जापुर के सीखड़ गांव के रहने वाले मुकेश कुमार पांडेय इन दिनों खेती में जैविक और ऑर्गेनिक खाद के इस्तेमाल के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं. किसानों को जैविक खेती के जरिए से आय बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद से रूरल डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद गुजरात के ग़ांव में वह घूम-घूम कर गांवों में उद्यमिता को बढ़ाने के लिए काम करने लगे. कुछ समय बाद वह दिल्ली चले आए, जहां पर रूलर डेवलपमेंट शिक्षक के तौर पर कार्य करने लगे.
यहां उनकी सैलरी एक लाख रुपये थी, मगर जीवन मे एक ऐसा दौर आया जो उनके जीवन को रुख ही मोड़ दिया. सात साल से कैंसर से जूझ रहे पिता की मौत के बाद उन्हें झटका लगा. गांव में खेतों में लगातार इस्तेमाल हो रहे कैमिकल के प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी के बढ़ते खतरे को देख उन्हें गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा देने की प्रेरणा मिली. अपनी एक लाख रुपये सैलरी की नौकरी छोड़कर वह वापस अपने गांव सीखड़ आ गए.
यहां नाबार्ड के सहयोग से नवचेतना के नाम से एफपीओ का गठन किया. किसानों को जैविक खेती के लिए जोड़ना शुरू किया. शुरुआत में उन्हें कम सफलता मिली, मगर गांव में जब जैविक खेती से लाभ किसानों बताया. तब किसानों को इससे फायदा दिखा तो किसान जुड़ने लगे. आज इस एफपीओ से 15 सौ किसान जुटे हैं.
मुकेश गांव और आसपास के इलाके में चल रहे डेरी फार्म चलाने वाले किसानों से एक हजार रुपये में ट्राली गोबर खरीदते हैं. अपने खेत मे बने उसे केंचुए की मदद से जैविक खाद तब्दील कर किसानों को देना शुरू किया. महज तीन साल में ही इस संस्था ने अच्छी-खासी प्रगति की. इलाके की 50 जैविक खाद बनाने वाली संस्थाएं इन एफपीओ के जुड़ीं.
मुकेश का दावा है कि यह आज यूपी की सबसे बड़ी जैविक खाद बनाने वाली संस्था है, जो साल भर में 20 हजार टन गोबर से जैविक खाद बनाती है. एक करोड़ का बिजनेस करती है. इतना ही नहीं, इसके अलावा मुकेश किसानों को आधुनिक खेती के जरिए आय बढ़ाने में भी किसानों की मदद कर रहे हैं.
सरकारी मदद के जरिए वह किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षण और वित्तीय मदद मुहैया करा रहे हैं. वहीं, मुकेश के साथ जुड़े किसानों को भी जैविक खाद से फायदा मिल रहा है. किसानों का कहना है कि उनकी खेती से आय बढ़ी है. खेतो में पैदावार भी बढ़ी है.
स्थानीय किसान राम नारायण पांडे ने कहा, ''हम केले की खेती करते हैं. इनकी वजह से हमें मदद मिली है. जैविक खेती से फायदा हुआ है. जैविक खाद की वजह से दूसरे साल भी उगते हैं. इससे खेत की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है.''