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पांच घंटे में 10 क्विंटल तक गुड़ होगा तैयार, UP के देवरिया में ऐसे यूनिट की हुई स्थापना

कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना देवरिया भाटपाररानी में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लघु गुड़ यूनिट की स्थापना की गई है. 35 लाख रुपये की लागत से इस इकाई में दो घंटे में एक क्विंटल गुड़ बनाया जा सकेगा.

Jaggery unit set up in Deoria of UP Jaggery unit set up in Deoria of UP
राम प्रताप सिंह
  • देवरिया,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST
  • गुड़ यूनिट की हुई स्थापना
  • 35 लाख रुपये आई लागत

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना में ऐसे लघु गुड़ इकाई की स्थापना हुई है, जिसका उपयोग कर सिर्फ 5 घंटे में 10 क्विंटल गुड़ तैयार किया जा सकेगा. माना जा रहा है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने से गन्ने की पेराई में कम वक्त लगेगा. इसके अलावा उतने ही वक्त में बढ़िया किस्म का गुड़ अधिक मात्रा में बनाया जा सकेगा. सरकार का दावा है कि इस तकनीक के आने से किसानों को उनके गुड़ का अच्छा दाम मिल सकेगा और उनकी आय में भी इजाफा होगा.

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मजदूरों की संख्या में आएगी कमी

कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना देवरिया भाटपाररानी के प्रभारी डॉक्टर रजनीश श्रीवास्तव बताते हैं कि कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना 2012 में हुई थी यहां किसानों को खेती की नयी-नयी तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लघु गुड़ यूनिट की स्थापना में 35 लाख रुपये की लागत आई है. इस ईकाई से दो घण्टे में एक कुंतल गुड़ बनाया जा सकेगा. इस दौरान सिर्फ 5 मजदूरों की जरूरत पड़ेगी.

ज्यादा दिन तक गुड़ का किया जा सकेगा भंडारण

वह आगे बताते हैं कि भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अजय तिवारी के निर्देशन में गुड़ उत्पादन का काम होगा. इस नई तकनीक के माध्यम से गुड़ बनाने के बजाय अलग-अलग सांचे के गुड़ तैयार कर सकते हैं. डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि इस यूनिट से तैयार किया गया गुड़ ज्यादा दिनों तक भंडारण कर रखा जा सकता है जो जल्दी खराब नही होगा.

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आपको बता दें कि बाजार में आज कल अदरक व तिल वाली गुड़ की मांग बढ़ गयी है जो 100 रुपये किलो तक बाजार में बिक रहा है. लिहाजा लोगों की मांग को देखते हुए इस यूनिट में नई तकनीक से तिल,अदरक के साथ-साथ ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर कम समय में मनचाहे पैकेजिंग कर किसान मनचाही आय हासिल कर सकते हैं.

देवरिया को चीनी का कटोरा माना जाता है

आपको बता दें कि देवरिया जनपद गन्ना उत्पादन के मामले में चीनी का कटोरा कहा जाता रहा है. यहां बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती थी बदले राजनैतिक परिवेश में चीनी मिलें एक- एक कर बन्द होती चली गई. अब देवरिया के प्रतापपुर में ही जिले की एकमात्र निजी क्षेत्र की चीनी मिल चल रही है. गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर मिलों की उदासीनता से किसानों ने मुँह मोड़ लिया था, लेकिन लघु गुड़ इकाई के चालू होने से न केवल गन्ना किसानों के दिन बहुरेंगे बल्कि उनकी आय बेहतर हो सकेगी.

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