Advertisement

महाराष्ट्र: 23 साल तक साथ देने वाले बैल की किसान ने की तेरहवीं, गांव वालों को खिलाया भोज

25 साल पहले संदीप नरोटे के पिता एक बछड़े को घर लाए थे. इसे सुक्रया का नाम दिया गया. अधिक उम्र हो जाने की वजह से दो साल पहले नरोटे परिवार ने खेती में सुक्रया से काम लेना बंद कर दिया. हालांकि, उसका ध्यान वैसे ही रखा गया जैसे परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य के साथ किया जाता है.

cremation of Ox cremation of Ox
पंकज खेळकर
  • बुलढाणा,
  • 11 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST
  • महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के देवपुर का मामला
  • किसान ने किया बैल का विधिवत अंतिम संस्कार

विकास के साथ देश में खेती के तौर-तरीके भी बदले हैं. आधुनिक मशीनरी और तकनीक पर निर्भरता अब बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद देश के कई हिस्से अब भी बैलों का इस्तेमाल किया जाता है. बैल का किसान के जीवन में काफी महत्व होता है. वे इसे परिवार के सदस्य के तौर पर मानते हैं. ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के देवपुर में सामने आया. यहां संदीप नरोटे के बैल की मौत हो गई. इसके बाद उन्होंने बैल का विधिवत अंतिम संस्कार किया.

Advertisement

25 साल पहले घर आया था मेहमान 

25 साल पहले संदीप नरोटे के पिता एक बछड़े को घर लाए थे. इसे सुक्रया का नाम दिया गया. सुक्रया ने लंबे अरसे तक खेती के काम में परिवार का कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया. अधिक उम्र हो जाने की वजह से दो साल पहले नरोटे परिवार ने खेती में सुक्रया से काम लेना बंद कर दिया. हालांकि, उसका ध्यान वैसे ही रखा गया जैसे परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य के साथ किया जाता है.  

अक्सर देखा जाता है कि जब बैल के बूढ़ा होने पर उसका कोई इस्तेमाल नहीं रह जाता तो या तो उसे बेसहारा छोड़ दिया जाता है या बूचड़खाने वालों को बेच दिया जाता है. लेकिन संदीप ने ऐसा नहीं किया.

तेज दिमाग का मालिक था बैल!

संदीप ने बताया कि सुक्रया बैल बहुत ताकतवर था. उसके साथ दूसरे बैल को लगाने से पहले सोचना पड़ता था कि उसकी ताकत से दूसरा कौन सा बैल मैच करेगा. बैलगाड़ियों की दौड़ में भी सुक्रया बहुत तेज दौड़ता था. संदीप ने सुक्रया के तेज दिमाग का हवाला देते हुए एक किस्सा बताया. संदीप के मुताबिक एक बार वो और उनका 4 साल का बेटा सोहम बैलगाड़ी से कहीं जा रहे थे. तभी सोहम अचानक बैलगाड़ी से गिर गया. सोहम जमीन पर जहां गिरा वो जगह सुक्रया बैल के पिछले पैरों और बैलगाड़ी के पहिए के बीच थी. 

Advertisement

संदीप की नजर बेटे के बैलगाड़ी से गिरने के वक्त उस पर नहीं पड़ी थी. लेकिन सुक्रया अचानक चलते चलते वहीं जाम हो गया और बैलगाड़ी वहीं रुक गई. सुक्रया के तेज दिमाग का इससे पता चलता है, अगर वो चलता रहता तो नन्हा सोहम पहिए के नीचे आ जाता.

घर के सदस्य की तरह किया अंतिम संस्कार

13 दिन पहले सुक्रया बैल ने दम तोड़ा तो संदीप नरोटे ने उसका अंतिम संस्कार वैसे ही किया जैसे कि घर के किसी सदस्य के चले जाने के बाद किया जाता है. नरोटे परिवार ने सुक्रया बैल की आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं का भी आयोजन किया. यहां बैल की तस्वीर पर फूलमाला चढ़ा कर रखी गई. इस मौके पर गांव वालों को खाना भी खिलाया गया.  

किसान संदीप नरोटे ने कहा, जिस तरह अपने माता-पिता को बुढ़ापे में हम नही छोड़ते उसी तरह बैल अगर बूढ़ा हो जाए तो उसे बेसहारा न छोड़ा जाए, न ही बूचड़खाने के हवाले किया जाए. जो बैल इतने साल तक आपके लिए खेत में मदद करता रहा ,क्या उसके आखिरी दो-तीन साल में हम उसकी सेवा नहीं कर सकते? 

(जका खान के इनपुट के साथ)


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement