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Potato Farming: इस तकनीक के जरिए हवा में होगी आलू की खेती, 10 गुना से अधिक होगी पैदावार, बढ़ जाएगा मुनाफा

Potato Cultivation: एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) का इजाद हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Centre) द्वारा किया गया है. इस तकनीक की खास बात यह है कि खेती में इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी पूरी की जा सकती है.

Aeroponic Potato Farming Aeroponic Potato Farming
धीरज कुमार सिंह
  • सहरसा,
  • 07 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
  • एरोपोनिक तकनीक से होगा किसानों को फायदा
  • बिना मिट्टी, जमीन करें आलू की खेती

Aeroponic Potato Farming: बिहार के किसान अब नई तकनीक से आलू की खेती करेंगे. इस तकनीक का नाम एरोपोनिक तकनीक है, जिसके जरिए से अब जमीन की जगह हवा में आलू की खेती होगी और इससे पैदावार भी 10 गुना तक बढ़ जाएगी. यह कहना है हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रोद्योगिकी केंद्र से आलू खेती की नई तकनीक का अध्ययन कर लौटे सहरसा के अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों पंकज कुमार राय का.

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आपको आश्चर्य तो जरूर होगा कि हवा में आलू की खेती करना कैसे संभव है, लेकिन यह संभव हो गया है. दरअसल, एरोपोनिक आलू खेती की एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा बिना मिट्टी और ज़मीन के आलू की खेती की जा सकती है. इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी पूरी की जा सकती है.

एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) का इजाद हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Centre) द्वारा किया गया है. इस तकनीक की खास बात यह है कि खेती में इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी पूरी की जा सकती है और तो और इस तकनीक से खेती करने पर आलू की पैदावार 10 गुना तक बढ़ जाएगी. सरकार द्वारा इस तकनीक से आलू की खेती करने की मंजूरी दे दी गई है.

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Aeroponic Potato Farming Technique

बता दें तो आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल का इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर के साथ एमओयू हुआ है. एमओयू होने के बाद भारत सरकार द्वारा एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) से आलू की खेती करने की मंजूरी दे दी गई है.

किसानों की आमदनी बढ़ाएगी यह तकनीक
एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) से किसानों को बहुत ज़्यादा फायदा होगा, क्योंकि इससे किसान कम लागत में ही आलू की ज़्यादा से ज़्यादा पैदावार कर सकते हैं और ज़्यादा पैदावार होने से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. इस तकनीक के जो विशेषज्ञ हैं, उनका ऐसा कहना है कि इस तकनीक में लटकती हुई जड़ों के द्वारा उन्हें पोषण (nutrients) दिए जाते हैं. जिसके बाद उसमें मिट्टी और ज़मीन की ज़रूरत नहीं होती.

सहरसा जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र, आगवानपुर, के कृषि वैज्ञानिक हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रौधौगिकी केंद्र से आलू खेती की नई तकनीक का अध्ययन कर लौटे अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार राय बताते हैं कि बहुत सारे किसान जो अभी तक परंपरागत खेती किया करते थे, उसकी तुलना में यह तकनीक उनके लिए बहुत ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है. इस तकनीक के द्वारा आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता को 3 से 4 गुणा तक बढ़ाया जा सकता है. इस तकनीक से सिर्फ़ हरियाणा ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा. इस तरह नई-नई तकनीकों के आने से किसानों को जानकारी होने के साथ-साथ उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है. जो उनके और हमारे राज्य दोनों के लिए बेहतर है.

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