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पूर्वांचल के केले का स्वाद चखेंगे दुबई के शेख, एपीडा ने गाजीपुर से भेजी पहली खेप

केला ज्यादातर दक्षिण भारत से निर्यात होता है. अब पूर्वांचल के किसान भी विदेशों के बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं. पिछले साल अगस्त महीने के मुकाबले इस वर्ष अगस्त में 10 मीट्रिक टन निर्यात में वृद्धि हुई है. केले का फल, फूल और पत्ते ज़्यादातर दक्षिण भारत से निर्यात होते हैं. योगी सरकार की नीतियों और किसानों की मेहनत से अब पूर्वांचल के केले उसके पत्ते और फूल विदेशों में पैठ बनाने लगे हैं.

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समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 05 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार अब फल और सब्जियों के साथ-साथ उसके पत्ते और फूल भी विदेशों में निर्यात करने लगी है. इसी कड़ी में पूर्वांचल के केले, पत्ते और उसके फूल का स्वाद दुबई के शेख भी चख सकेंगे. गाज़ीपुर से पहली बार इसकी खेप यूनाइटेड अरब अमीरात भेजी गई है. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री  इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव वर्चुअली फ्लैग ऑफ करके कंसाइनमेंट को रवाना किया.

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राज्य के निर्यात में 10 मीट्रिक टन की हुई वृद्धि

केले का विदेशों में सबसे ज्यादा निर्यात दक्षिण भारत से होता है. अब पूर्वांचल के किसान भी इस बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं. पिछले साल अगस्त महीने के मुकाबले इस वर्ष अगस्त में राज्य के निर्यात में 10 मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है. किसानों की मेहनत से अब पूर्वांचल का केले उसके पत्ते-फूल विदेशों में पैठ बनाने लगे हैं.

अमड़ा, करौंदा, भिंडी और परवल का भी हुआ निर्यात

वाराणसी स्थित एपीडा के क्षेत्रीय कार्यालय के उप महाप्रबंधक  ने बताया कि पहली बार पूर्वांचल के गाज़ीपुर के केले के फल, फूल और पत्ते निर्यात हो रहे हैं. इससे पहले ये दक्षिण भारत से ही निर्यात किया जाता था. इसके अलावा अमड़ा, करौंदा, भिंडी और परवल भी यूनाइटेड अरब अमीरात को भेजे गए हैं.

91 मीट्रिक टन तक पहुंचा राज्य का निर्यात

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अगस्त 2022 में 81 मीट्रिक टन सब्ज्जी और फल वाराणसी एयरपोर्ट से निर्यात हुए थे. वहीं, इस साल अगस्त 2023 में 10 मीट्रिक टन निर्यात बढ़ कर 91 मीट्रिक टन हो गया है, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने वर्ष 2020 में वाराणसी में कार्यालय खोलकर राज्य सरकार की मदद से निर्यात को बढ़ाया है. एपीडा ने कोरोना काल में अप्रैल 2020 में पहली बार ब्रिटेन हरी मिर्ची भेजी थी.  अब पहली बार अमड़ा और करौंदा खाड़ी  दशों के लिए निर्यात किया गया. किसान उधमी बनाने के साथ ही निर्यातक भी बन रहे हैं.

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