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भिंडी की खेती में ऐसे करें उर्वरकों का संतुल‍ित इस्तेमाल, अच्छी उपज के लिए अपनाएं ये ट‍िप्स

भिंडी की फसल में कई प्रकार के रोग का खतरा रहता है. इसके कारण फसल बर्बाद हो जाती है. जिस कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता. अच्छी पैदावार के लिए पौधों को रोग रहित रखना आवश्यक है. आइए जानते हैं भिंडी को रोगों से बचाने का सही तरीका जिससे उपज भी अच्छी होगी.

okra cultivation okra cultivation
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

भिंडी की खेती दुनिया भर में बहुत आम और लोकप्रिय है. साल भर भिंडी की बाजार में अच्छी डिमांड रहने के साथ कीमत भी ठीक मिलती है. ऐसे में किसानों के लिए यह कमाने वाला व्यवसाय साबित हो सकता है. लेकिन भिंडी की खेती में उर्वरकों का सही तरीके से इस्तेमाल हो तो इसका फायदा मिलता है. आइए जानते हैं कि कैसे करें उर्वरकों का संतुलित इस्तेमाल. 

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खाद और उर्वरक की मात्रा भूमि में उपस्थित पोषक तत्वों पर निर्भर करती है. इसके लिए सबसे पहले खेत तैयारी होने के समय अंत‍िम जुताई के साथ कटुआ कीट के नियंत्रण के लिए भूमि में दानेदार फ्यूराडॉन 25 किलोग्राम अथवा थिमेट (10 जी) 10-15 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिलाना चाहिए. इसकी जगह आप 15 से 20 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 25 से 30 दिनों पूर्व खेत में मिला सकते हैं. इसके बाद 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 40 क‍िलोग्राम पोटाश को प्रति हेक्टेयर की दर से आखिरी जुताई के समय देना चाहिए. 

जब फसल की बुआई हो जाए तो इसके बाद भी भिंडी में उर्वरकों का खास ख्याल रखना पड़ता है. इसके लिए खड़ी फसल में 40 से 60 क‍िलोग्राम नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर करना चाहिए. पहली मात्रा बुआई के 3-4 सप्ताह बाद पहली निराई-गुड़ाई के समय देनी चाहिए. वहीं, दूसरी मात्रा फसल में फूल बनने की अवस्था में देना लाभप्रद है.

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बुआई, गुड़ाई का समय और तरीका

ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षाकालीन भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है. वहीं, भिंडी की फसल को नियमित निराई व गुड़ाई की जरूरत होती है. खेत को भी खरपतवार मुक्त रखना चाहिए. इसके लिए बीज की बुआई के 15-20 दिन बाद प्रथम निराई व गुड़ाई करना चाहिए. खरपतवार नियंत्रण हेतु रासायनिक नींदानाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है. खरपतवारनाशी फ्ल्यूक्लरेलिन की 1.0 किलो मात्रा को प्रति हेक्टर की दर से पर्याप्त नम खेत में बीज बोने के पूर्व मिलाने से प्रभावी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है.

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