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भारत में ज्यादातर किसान पारंपरिक फसलों की खेती को अहमियत देते हैं, उनकी शिकायत रहती है कि इससे उन्हें कुछ खास मुनाफा हासिल नहीं होता. कम जानकारी के आभाव में वह नई फसलों की खेती नहीं कर पाते हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद(CSIR- https://www.csir.res.in/) देशभर में अरोमा मिशन (Aroma Mission) के तहत सुंगध देने वाले फसलों की खेती को लगातार बढ़ावा दे रही है.
पिछले कुछ सालों में किसानों को बीच मेंथा, खस, पामारोजा, जिरेनियम, लेमन ग्रास समेत कई सुगंध वाले फसलों की खेती करने की आदत बढ़ी है. इन फसलों की खास बात ये है कि एक तो इनकी लागत कम होती है, दूसरा इसे सूखाग्रस्त इलाकों में लगाया जा सकता है, साथ ही ये फसलें कमाई का एक बेहतर जरिया भी बन रही हैं.
इस फसल को बढ़ावा देने के लिए ये संस्थान साथ मिल कर रहे हैं काम
इस मिशन की शुरुआत वर्ष 2017 में CSIR-CIMAP(https://www.cimap.res.in/) की तरफ से शुरू की गई थी. इस मिशन का लाभ ज्यादातर किसान ले सकें इसके लिए इस समय सीएसआईआर-हिमालयी जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान, सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान और सीएसआईआर-पूर्वोत्तर विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान जैसी कृषि के क्षेत्र की प्रायोगिक संस्थाएं अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं.
लाखों लोगों के लिए रोजगार का अवसर
इन फसलों से निकलने वाले तेलों की सबसे ज्यादा मांग दवाओं, परफ्यूम, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर आयल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में भी प्रयोग किया जाता है. CSIR के अनुसार परफ्यूमरी, कॉस्मेटिक्स और फार्मास्युटिकल उद्योगों के लिए सालाना अतिरिक्त 700 टन आवश्यक तेल का उत्पादन होता है. CSIR का दावा है कि मूल्यवर्धन और हर्बल उत्पादों में इन तेलों के उपयोग से आने वाले समय में कम से कम 200 करोड़ का कारोबार होने की संभावना है, साथ ही 25,000 से अधिक किसान परिवार सीधे लाभान्वित होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में 10-15 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा इससे देश प्राकृतिक तेलों के क्षेत्र में प्रमुख निर्यातक बनेगा. साथ ही अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ होगा.
किसानों की आत्महत्या रोकने का भी है प्रयास
अरोमा मिशन के तहत इस समय केंद्र सरकार इस समय विदर्भ, बुंदेलखंड, गुजरात, मराठवाड़ा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे जगहों पर इसकी किसानी को ज्यादा बढ़ावा दे रही है. ये ऐसे जगह हैं जहां पर किसान हर साल असमय मौसम के बदलावों का सामना करते हैं और उनकी फसलें चौपट हो जाती हैं. सरकार का प्रयास है कि इन जगहों पर सुंगधित फसलों को बढ़ावा दिया जाए और किसानों को बेहतर मुनाफा प्रदान की जाए, ताकि किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने की तरफ न बढ़ें.