
Betel Vine Cultivation: भारत में पान के उपयोग का विशेष महत्व है. धार्मिक आयोजनों में पूजा पद्धति के दौरान इसके पत्तों का उपयोग काफी शुभ माना जाता है. कई लोग इसका सेवन शौक के लिए भी करते हैं. ऐसे में पान किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकें, इसके लिए सरकारों की तरफ से कई तरह की योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के महोबा जिले का 'देशावरी पान' पूरे विश्व में अपने करारे स्वाद के लिए काफी मशहूर है. अब इस पान को GI (Geographical Indication Tag) भी मिल गया है. भारत सरकार के Geographical registration Registry Office चेन्नई ने पिछले दिनों ही इसे जीआई टैग देने का निर्णय लिया है. महोबा के डीएम सतेंद्र कुमार कहते हैं कि देशावरी पान को जीआई टैग मिलने के बाद इसकी प्रसिद्धि और बढ़ेगी, जिसका सीधे तौर पर फायदा किसानों को होने वाला है.
किसानों को एक साथ दो तोहफें
देशावरी पान की खेती करने वाले किसानों को एक साथ दो सौगातें मिली हैं. जीआई टैग के बाद अब योगी सरकार ने अब इसकी खेती को फसल बीमा योजना से भी जोड़ दिया है. ऐसे में अगर पान की फसल को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होता है, तो किसान इस योजना के तहत आर्थिक लाभ के भी हकदार होंगे.
डीएम सत्येंद्र कुमार ने बताते हैं कि महोबा में बड़े पैमाने पर पान की खेती की जाती है. किसान पान को फसल बीमा योजना से जोड़ने के लिए काफी समय से मांग कर रहे थे. सरकार के इस फैसले के बाद अब पान किसान फसल बीमा योजना से भी लाभान्वित हो सकेंगे. फसल खराब हो जाने की स्थिति में पान किसानों को साढ़े सात लाख रुपया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा मिलेगा.
उधर सरकार के इस फैसले के बाद पान किसानों में खुशी का माहौल है. किसानों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. किसानों का कहना है कि वैसे भी पान की खेती में काफी कठिनाइयां आती हैं, लेकिन सरकार के फैसले से अब उन्हें फसल बीमा योजना से कुछ राहत मिल सकेगी.
विदेशों में भी है इसकी मांग
महोबा के मशहूर समाजसेवी और देशी पान के जानकार जीवनलाल चौरसिया कहते हैं कि महोबा का यह पान दुबई, सऊदी अरब ,पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित दुनिया के दर्जनों देशों में भी काफी पसंद किया जाता है. काफी सालों से देशावरी पान का इन देशों में निर्यात जारी है.
खस्ताहाल स्थिति में हैं पान किसान
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान केंद्र लखनऊ के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डा. रामसेवक चौरसिया का कहना है कि दो दशक पहले तक जिले में 500 एकड़ में पान की खेती होती थी, लेकिन अब यह सिमटकर 50 एकड़ में रह गई है. पान की खेती से जिले के 150 किसान जुड़े हैंय महोबा का देशावरी पान पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक जाता है. लखनऊ, पीलीभीत, रामपुर, बरेली, सहारनपुर आदि स्थानों पर भी इसके पत्तों की काफी मांग. पहले महोबा में पान का प्रतिवर्ष का कारोबार पांच से सात करोड़ रुपये था, लेकिन अब यह घटकर एक से डेढ़ करोड़ रुपये तक ही रह गया है.