
बिहार के गया के रहने वाले बोधगया के रहने वाले श्रीनिवास स्कूल में पढ़ाई करते वक्त एथलेटिक्स के खिलाड़ी बनना चाहते थे. स्कूल टाइम से लेकर कॉलेज टाइम तक श्रीनिवास ने कई एथलेटिक्स प्रतियोजिता में भाग लिया. इसमें से कई प्रतियोगिताएं राज्य स्तरीय रहीं. कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया. साथ ही वह इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए झारखंड के जमशेदपुर में ट्रेनिंग ले रहे थे.
पिता की बीमारी के चलते छोड़ना पड़ा एथलेटिक्स
श्रीनिवास के कोच थे बगीचा सिंह और चार्ल्स रोमियो सिंह, दोनों पद्मश्री विजेता थे. उन्हीं की कोचिंग में इंटरनेशल एथलेटिक्स की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच उनके पिता अचानक से किडनी के बीमारी से ग्रसित हो गए. इसके चलते श्रीनिवास को घर आना पड़ा. इस दौरान पिता के इलाज में 20 लाख रुपये तक खर्च हो गए. इसके चलते उन्हें एथलेटिक्स छोड़ना पड़ा.
सिपाही की नौकरी को भी किया मना
पिता के मृत्यु के बाद श्रीनिवास को बिहार सरकार की तरफ से खिलाड़ी कोटे से सिपाही की नौकरी भी मिल रही थी. हालांकि, उन्होंने पुलिस की नौकरी को मना कर दिया. उन्होंने अपने पिता की तरह किसान बनना पसंद किया.आज श्रीनिवास खेती के साथ -साथ फूलों के नर्सरी और वर्मीकम्पोस्ट से लाखों रुपये कमा रहे हैं.
आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते शुरू की खेती
श्रीनिवास बताते है की उनकी पढ़ाई 10वीं के DAV कैंट से हुआ था. नेशनल लेवल पर एथलेटिक्स खेलते थे. इंटरनेशनल की तैयारी कर रहे थे. पिता किडनी के बीमारी से ग्रसित हो गए. इसमें 20 लाख रुपये के तकरीबन खर्च हुआ. आर्थिक स्थिति खराब हुई तो पिता के मृत्यु के बाद घर चलाने के लिए मजबूरी में खेती-किसानी की शुरुआत कर दी.
हमारे DNA में है खेती
श्रीनिवास आगे कहते हैं कि वह 800 और 1500 मीटर के रनर थे. बिहार को आल इंडिया में प्रतिनिधित्व किया था. कई गोल्ड मेडल लेकर आए. अकादमी में कभी भी हमारा फीस नहीं लगा. हालांकि, बिहार सरकार से कोई मदद नहीं मिला. हमारी पिता अच्छी खेती किया करते थे. खेती हमारे DNA में भी था तो खेती शुरू कर दी.
गांव के लोग मजाक उड़ाते थे
श्रीनिवास के मुताबिक गांव के लोग उनपर बहुत हंसते थे कि इसको सरकारी नौकरी मिल रही है. यह नेशनल लेवल का खिलाड़ी था. बैकग्राउंड भी अच्छा था, लेकिन नौकरी में नहीं गया. इन सबसे इतर मैंने सोच लिया था जो खेल के माध्यम से देश के लिए नहीं कर पाए. वह खेती के माध्यम से करेंगे.
महीने का 70 हजार और साल का लाखों कमा रहे श्रीनिवास
खेती के सिलसिले में श्रीनिवार कई बार वैज्ञानिक के पास गया. उनके साथ भी उनका अच्छा संबंध बन गया. खेती के साथ हम वर्मीकंपोस्ट भी तैयार करते हैं. अभी के वक्त में हर महीने 70 हजार रुपये कमा रहे हैं. आज खेती-किसानी के चलते पूरे इलाके में लोकप्रिय हो गए हैं. दूर-दूर से लोग खेती-किसानी में उनकी सलाह लेने आते हैं.