
Cassava farming tips: नए जमाने की खेती किसानों के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है. किसान अब नई-नई फसलों की वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की तरफ रूख कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है कसावा की खेती. जो किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है.
साबूदाना बनाने में किया जाता है इस्तेमाल
कसावा को बागवानी की फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. शायद कम लोग ही जानते हैं कि कसावा का इस्तेमाल साबूदाना बनाने में किया जाता है. इस फल में स्टार्च भरपूर मात्रा में होता है. फिलहाल दक्षिण भारत में इस फल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
शकरकंद जैसा दिखता है कसावा
कसावा देखने में बिल्कुल शकरकंद की तरह होता है लेकिन इसकी लंबाई उससे ज्यादा होती है. अचानक से देखने पर आप शकरकंद और कसावा के बीच अंतर नहीं ढूंढ पाएंगे. इस फल में स्टार्च भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
पशुओं के चारे के तौर पर भी कर सकते हैं उपयोग
साबूदाना बनाने के अलावा कसावा का इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर किया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, पशुओं को इसे खिलाने पर उनमें दूध देने की क्षमता बढ़ती है. बता दें कि कंद वाले फसलों की तरह कसावा की खेती की खेती भी जड़ों की रोपाई करके ही किया जाता है.
हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है इसकी खेती
कसावा की खेती किसान हर तरह की मिट्टी और जलवायु में किया जा सकता है. हालांकि, इसकी खेती करते वक्त किसानों के लिए ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि जिस भी खेत में इसकी रोपाई की जा रही है वहां जलनिकासी की व्यवस्था ठीक-ठाक हो.
नहीं होगा किसानों का नुकसान
किसानों को कसावा की खेती कभी नुकसान नहीं देगी. विशेषज्ञों का कहना है कि देश में साबूदाने का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यही वजह है कसावा की खेती बेहद तेजी से फल-फूल रही है. कई कंपनियां किसानों से जुड़कर अब इस फसल की कांट्रैक्ट फार्मिंग कराने लगी हैं. इसके अलावा कसावा का निर्यात दूसरे देशों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. जिससे किसानों का मुनाफा और बढ़ने की संभावना बनी रहती है.