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पराली जलाने की घटनाएं बंद हों, सुप्रीम कोर्ट ने पॉल्यूशन रोकने के लिए दिया ये निर्देश

खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित है. अब कोर्ट ने इसको लेकर एक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बंद होनी चाहिए. साथ ही एक न्यायिक निगरानी व्यवस्था भी बननी चाहिए जिससे हर साल इस स्थिति का सामना ना करना पड़े.

Stubble burning Stubble burning
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

खरीफ फसलों की कटाई तकरीबन सभी राज्यों में पूरी होने वाली है. इस बीच पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में  पराली जलाने की कई घटनाएं भी सामने आई हैं, जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में काफी इजाफा भी देखा गया. इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बंद होनी चाहिए. साथ ही एक न्यायिक निगरानी व्यवस्था भी बननी चाहिए, जिससे हर साल इस स्थिति का सामना ना करना पड़े.

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सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दिया निर्देश

खेतों में आग लगने की लगातार होती घटनाओं को देखते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने संबंधित राज्य सरकारों को प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि हम कम से कम अगली सर्दियों को थोड़ा बेहतर बनाने का प्रयास करें.

पीठ ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति की कई बैठकें हुईं. इन बैठकों में इस मुद्दे से निपटने के लिए पंजाब और हरियाणा सहित राज्यों के लिए कार्य योजना तैयार की गई. संबंधित राज्यों को इन कार्य योजनाओं को लागू करना होगा. दो महीने के भीतर अदालत के समक्ष प्रगति रिपोर्ट जमा करनी होगी.

अदालत को भी करनी चाहिए निगरानी

कोर्ट ने कहा कि इस मामले की निरंतर निगरानी की आवश्यकता है. जब समस्या उत्पन्न होती है तभी हम अचानक इसे उठाते हैं. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि अदालत को भी कुछ समय के लिए पराली जलाने वाली  घटनाओं की निगरानी करनी चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 फरवरी रखी गई है.

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'जुर्माना वसूलने की गति धीमी'

पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि राज्य ने 6 दिसंबर को एक हलफनामा दायर किया है जिसमें फसल अवशेष जलाने के लिए जिम्मेदार लोगों से पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के बारे में विवरण भी शामिल है. वकील ने 21 नवंबर को पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि अपराधियों पर कुल 2 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि वसूली राशि अभी भी लगाए गए जुर्माने का सिर्फ 53 प्रतिशत ही है.वसूली में तेजी लाई जानी चाहिए.

इस दावे पर कि 15 सितंबर से 30 नवंबर, 2023 के बीच खेतों में आग लगने की घटनाएं पहले की तुलना में कम हुई हैं, अदालत ने कहा, "मुद्दा यह है कि, अभी भी खेतों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं, इसे रोकने चाहिए. पीठ ने इस दौरान उत्तर प्रदेश में खुले में कचरा जलाने से संबंधित मामले पर भी अपनी बात रखी.

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