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दिल्ली: पराली पर छिड़काव के लिए तैयार हो रहा बायो डी-कम्पोजर का घोल, जानिए क्या होगी कीमत

सर्दी के मौसम की शुरुआत में पराली जलाने के बाद हवा में प्रदूषण स्तर काफ़ी बढ़ जाता है और पराली प्रदूषण से निजात पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा इंस्टीट्यूट) में माइक्रो बायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने बायो डी-कम्पोजर घोल तैयार किया है.

बायो डी-कम्पोजर बायो डी-कम्पोजर
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

दिल्ली में इस साल भी पराली पर छिड़काव के लिए बायो डी-कम्पोजर का घोल तैयार किया जा रहा है. दिल्ली के बाहरी इलाकों में धान की खेती होती है और धान कटाई के बाद खेत में बचे हिस्से को पराली कहते हैं. अबतक किसान पराली को जलाकर इससे छुटकारा पाते थे क्योंकि किसान बिना समय बर्बाद किए अगली फ़सल की बुआई के लिए खेत तैयार करना चाहते हैं. सर्दी के मौसम की शुरुआत में पराली जलाने के बाद हवा में प्रदूषण स्तर काफ़ी बढ़ जाता है. और पराली प्रदूषण से निजात पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा इंस्टीट्यूट) में माइक्रो बायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने  बायो डी-कम्पोजर घोल तैयार किया है.

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दिल्ली सरकार ने पिछले साल 4000 एकड़ खेत में बायो डी-कम्पोजर घोल का छिड़काव किया था. इस साल भी विभाग ने 21 टीम बनाई हैं जो खेत में पराली पर बायो डी-कम्पोजर घोल का छिड़काव करने के लिए किसानों के घर घर जाकर सहमति लेंगे. दिल्ली सरकार ने इस साल 5 हजार एकड़ में मुफ़्त छिड़काव करने का टारगेट तय किया है. 

हालांकि, इस बार दिल्ली सरकार ने बायो डी-कम्पोजर घोल बनाने को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है. अबतक सरकार पूसा इंस्टिट्यूट की मदद से नज़फगढ़ के खड़खड़ी नाहर पार्क में बायो डी-कम्पोजर बनाया जाता था लेकिन अब पूसा इंस्टिट्यूट में ही घोल तैयार किया जाएगा.

पूसा इंस्टिट्यूट द्वारा 10 लीटर की मात्रा के बायो डी-कम्पोजार घोल तैयार किए जा रहे हैं. दिल्ली सरकार पूसा इंस्टिट्यूट से घोल खरीदेगी और सहमति दे चुके किसानों के खेत में मुफ़्त छिड़काव कराएगी. पूसा इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि 10 लीटर घोल को 200 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ खेत में छिड़काव कर सकेंगे. पूसा इंस्टिट्यूट ने 1 लीटर बायो डी-कम्पोजार घोल की कीमत 75 रुपए तय की है यानी 10 लीटर घोल की 750 रुपए होगी.

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बायो डी-कम्पोजार घोल तैयार करने के लिए पहली बार पाउडर भी तैयार किया है. पूसा इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि फ़िलहाल पाउडर की क़ीमत तय नहीं की गयी है क्यूंकि पावडर पर अभी परिक्षण जारी है. इसी साल दिल्ली के 1000 एकड़ खेत में इस पाउडर का ट्रायल किया जाएगा. पूसा इंस्टिट्यूट ने 500 ग्राम के पाउडर के पैकेट तैयार किए हैं. एक पैकेट को 200 लीटर पानी में घोलकर 1 एकड़ खेत में छिड़काव किया जा सकता है.

बायो डी-कम्पोजर

वैज्ञानिकों ने बताया कि बायो डी-कम्पोजर घोल बनाने के लिए पूसा इंस्टिट्यूट की प्रोडक्शन यूनिट में 8 वैज्ञानिकों समेत 20 लोगों की टीम काम करेगी. जानकारी के मुताबिक पूसा इंस्टिट्यूट में अबतक 25% घोल तैयार भी कर लिया गया है. दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने किसानों से रजिस्ट्रेशन कराने की अपील करते हुए बताया कि अक्टूबर महीने के पहले हफ़्ते में बायो डी-कम्पोजर घोल का छिड़काव शुरू कर दिया जाएगा.

पंजाब में शुरू होगा बायो डी-कम्पोजर का छिड़काव
दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पंजाब के कृषि मंत्री के साथ ज्वाइंट मीटिंग के बाद पंजाब में पहली बार पायलट आधार पर पूसा इंस्टिट्यूट  के बायो डिकम्पोजर का छिड़काव होने जा रहा है. पंजाब में 75 लाख एकड़ ज़मीन पर धान की खेती होती है. चूंकि कटाई और बुआई के बीच का अंतर कम है और इस डिकम्पोजर के जरिए पराली गलाने में 15 से 20 दिन लगता है, इसलिए इस समय अंतराल को कम करने के लिए पूसा इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च की जा रही है.

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गोपाल राय ने बताया कि पराली मामले में पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि किसानों को आर्थिक सहायता दी जाए, लेकिन केंद्र सरकार ने मना कर दिया. अब पंजाब में दो लेवल पर काम हो रहा है. एक, बायो डी-कम्पोजर के जरिए और दूसरा, बड़े किसानों के पास मौजूद एक लाख हैपी सीडर मशीनें सरकार किराए पर लेगी और छोटे किसान को यह मशीने दी जाएंगी ताकि किसान पराली न जलाएं. 

 

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