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Weather Effect: दिल्ली-पंजाब से हिमाचल तक मौसम शुष्क, रबी की फसलों पर संकट, सेब किसान भी परेशान

लंबे समय तक सूखे के दौर ने शिमला के किसानों को भी चिंतित कर दिया है. सूखे के दौर से सेब की फसल के उत्पादन में कमी का खतरा मंडरा रहा है. पंजाब और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में भी बारिश काफी कम हुई है.

Long dry spell leaves farmers worried Long dry spell leaves farmers worried
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST

साल 2025 यानी जनवरी से लेकर फरवरी के महीने में अब मौसम अधिकतर शुष्क बना हुआ है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा से हिमाचल प्रदेश तक मौसम शुष्क बना हुआ है. यहां बारिश और बर्फबारी की कमी दर्ज हो रही है, जिससे फसलों पर असर पड़ रहा है. इस बात से किसान बेहद परेशान हैं.

लंबे समय से सूखे का दौर

लंबे समय तक सूखे के दौर ने शिमला के किसानों को भी चिंतित कर दिया है. सूखे के दौर से सेब की फसल के उत्पादन में कमी का खतरा मंडरा रहा है. फल सब्जी फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण किसानों को नए बागान लगाने से भी रोक दिया गया है. बता दें कि सेब की अच्छी फसल के लिए सर्दियों के दौरान पर्याप्त ठंड के घंटे और नमी आवश्यक है, जबकि फूल आने के समय ओलावृष्टि हानिकारक साबित होती है.

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राज्य में लगभग 90 प्रतिशत सेब बागवान अभी भी पारंपरिक किस्मों पर निर्भर हैं, जबकि शेष ने उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण को अपनाया है. चौहान ने कहा, "सर्दियों के महीनों के दौरान बर्फबारी से कीड़े और बीमारियाँ भी मर जाती हैं, लेकिन हम पिछले तीन वर्षों से मौसम में एक महीने का बदलाव देख रहे हैं, जिससे सेब का उत्पादन प्रभावित हुआ है."

बारिश की भारी कमी किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय

वहीं, स्काईमेट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में बारिश काफी कम हुई है. जनवरी और फरवरी को शीतकालीन मौसम के सबसे महत्वपूर्ण और बारिश वाले महीने माना जाता है. इस दौरान लंबे समय तक शुष्क मौसम रहना कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. रबी सीजन अपने अंतिम चरण में है और इस दौरान बारिश की भारी कमी किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है.

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बारिश न होने की वजह

पिछले 2-3 हफ्तों में एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ियों से गुज़र रहे हैं, लेकिन ये सिस्टम कमज़ोर रहे और मैदानी इलाकों में बारिश नहीं कर पाए. यहां तक कि पर्वतीय राज्यों में भी भारी बारिश और बर्फबारी की कमी बनी हुई है. हालांकि, एक नया पश्चिमी विक्षोभ 8 से 12 फरवरी के बीच पश्चिमी हिमालय पहुंचेगा. लेकिन इसकी प्रभावशीलता भी मध्यम से हल्की रहेगी, और इसका असर केवल पहाड़ों तक ही सीमित रहेगा.

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