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किसानों के साथ नहीं होगी जमीनों की धोखाधड़ी, अब रियल टाइम में अपडेट कर सकेंगे खतौनी

खतौनी को रियल टाइम में अपडेट किया जा सके इसके लिए नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर राजस्व परिषद के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की प्रकिया में जुटा है. दावा किया जा रहा है कि खतौनी के तत्काल अपडेट होने की वजह से जमीनों की धोखाधड़ी में कमी आएगी.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों के मालिकाना हक के लिए बड़े-बड़े विवाद सामने आते रहे हैं. दबंगों द्वारा किसानों की जमीनें भी हड़पने के कई मामले सामने आए हैं. इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार एक बड़े फैसले के साथ सामने आई है. राजस्व परिषद की नई पहल के मुताबिक अब जमीनों की खतौनी रियल टाइम में अपडेट हो सकेगी. अब इसे हर 6 वर्षों अपडेट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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खतौनी की रियल टाइम अपडेट के लिए आ रहा है सॉफ्टवेयर

खतौनी को रियल टाइम में अपडेट किया जा सके इसके लिए नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर राजस्व परिषद के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की प्रकिया में जुटा है. खतौनी के तत्काल अपडेट होने की वजह से जमीनों की धोखाधड़ी में कमी आएगी. जमीन खरीदने के इच्छुक किसान जान सकेंगे कि इसका असली मालिक कौन है. इससे बेमतलब के विवादों से बच जाएंगे. इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को हो सकता है.

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर होगा शुरू

बता दें कि अभी इसका पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. इसके लिए गाजीपुर सदर, सीतापुर की महोली, बाराबंकी की सिरौली, गौसपुर, लखनऊ की मोहनलालगंज और शामली की सदर तहसीलें शामिल की गई हैं.

क्या है खतौनी

खतौनी एक प्रकार का भूमि अभिलेख माना जा सकता है जो, जिसे एक क़ानूनी दस्तावेज माना जा सकता है, जिसमे किसी भी जमीन का विवरण होता है. जब किसी को जमीन बेची जाती है, या जमीन के मालिक की मृत्यु होती है तो ये जमीन उसके खरीदार या वारिस को स्थानांतरण की जाती है. यह सभी विवरण खतौनी के 7 से 12वें कॉलम में दर्ज किए जाते हैं. इसे पुराने सॉफ्टवेयर में ढूंढना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में  नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर द्वारा विकसित किए जा रहे सॉफ्टवेयर से किसानों को काफी मदद पहुंच सकती है.

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