चुनावी साल और वादों की भरमार के बीच आफत में किसान! कौड़ियों के भाव बिक रही प्याज

मध्य प्रदेश में प्याज के गिरते रेट से किसान परेशान हैं. मंडियों में कोई भी व्यापारी किसानों को प्रति किलो प्याज पर 2 रुपये भी देने को तैयार नहीं है. ऐसे में परेशान होकर किसान अपनी फसल सड़कों पर फेंक रहे हैं या मवेशियों को खिला रहे हैं.

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लगातार गिर रहा है प्याज का रेट लगातार गिर रहा है प्याज का रेट

रवीश पाल सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

चुनावी साल और वादों की भरमार वाले मध्य प्रदेश में इन दिनों अन्नदाताओं को प्याज कोड़ियों के भाव बेचनी पड़ रही है. आलम यह है कि किसान प्याज को बेचकर  मूल लागत तो दूर मंडी तक फसल पहुंचाने का भाड़ा भी नहीं निकाल पा रहे हैं. यही वजह है कि किसान अपने प्याज को या तो खुले में फेंक रहे हैं या फिर जानवरों को खिला रहे हैं.

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प्याज बेचने पर भी किसानों को हो रहा नुकसान

किसानों का ये हाल बेमौसम बारिश के चलते हुआ है. तकरीबन पूरी प्याज खराब हो गई है. पानी लगने की वजह से किसान ज्यादा देर अब प्याज संभालकर नहीं रख सकते, लिहाज़ा सब मंडी पहुंच रहे हैं. बाजार में प्याज की आवक इतनी ज्यादा हो गई है कि भाव औंधे मुंह गिरे हैं. मंडी में एक बोरी यानी कट्टे में करीब 50 किलो प्याज होती है. एक कट्टे की कीमत 30 से 40 रुपये ही है. जबकि मंडी तक पहुंचने के लिए भाड़ा और मंडी में हम्माली और तुलाई का खर्च ही एक बोरी पर करीब 50 रुपये आता है. एक बोरी प्याज पर करीब 10 रुपये का नुकसान किसान को हो रहा है.

प्रदेश में प्याज की पैदावार 45 लाख मीट्रिक टन 

मध्य प्रदेश में करीब 269 मंडियां हैं, इनमें से 200 से ज्यादा मंडियों में प्याज की खरीदी होती है. सरकार दावा करती है कि मध्य प्रदेश में प्याज का रकबा 1.8 लाख हैक्टेयर है. इस हिसाब से प्रति हैक्टेयर 250 से 300 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है. मध्य प्रदेश में कुल पैदावार करीब 45 लाख मीट्रिक टन है.

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सरकारी आंकड़े के मुताबिक, एक हैक्टेयर में 1 लाख 20 हज़ार रुपए खर्च आता है, जिस पर उत्पादन करीब 225 क्विंटल तक हो जाता है. इसी हिसाब से सरकारी आंकड़े कहते हैं कि 1600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से प्याज उत्पादन करने वाले किसान को प्रति हैक्टेयर 3 लाख 60 हजार रुपये मिल जाते हैं. मुनाफा करीब 2.40 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर होना चाहिए. 

धार में किसान ने फसल पर चलाया ट्रैक्टर

राज्य के एक अन्य जिले धार में भी प्याज की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. यहां किसान खुद की उगाई गई फसल पर ट्रैक्टर चला  रहे हैं. धार जिले के एक किसान की प्याज की फसल बारिश में खराब होने के बाद उपज के सही दाम नहीं मिलने के कारण दो बीघा के प्याज पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है

किसान सुनील पाटीदार ने बताया कि मैंने 5 बीघा में प्याज उगाई थी. बेमौसम बारिश से प्याज की खेती बर्बाद हो गई. सरकार से  चाहते हैं कि हमारी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदे. एक बीघे प्याज की फसल पर 40000 रुपये का खर्च आता है. फिलहाल किसानों को पूरे बीघे की उपज पर 10 हजार रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. किसान की प्याज ही मंडी में सिर्फ  2 रुपये से लेकर 6 रुपये तक बिक रही है.

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आगर मालवा में प्याज सड़क पर फेंकते नजर आए किसान

राजस्थान की सीमा से लगे आगर मालवा जिले के कुछ हिस्सों में इस बार भी किसानों ने प्याज की फसल की पैदावार की थी. उम्मीद के अनुसार फसल अच्छी भी हो रही थी कि बेमौसम बारिश और ओलों ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचा दिया. किसानों की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई, बमुश्किल बची हुई फसलों को जब किसान मंडी में बेचने पहुंच रहे है तो काफी कम दाम मिल रहा है. किसानों की परेशानी यह है कि प्याज की फसल को वे ज्यादा समय तक स्टोर करके नहीं रख सकते। ऐसे में किसानों के पास रखी फसल खराब हो रही है और उन्हें मजबूरी में फेंकना पड़ रहा है. 

खरगोन में मवेशियों को प्याज खिला रहे किसान

खरगोन में प्याज की कीमत कम मिलने से किसान इतने परेशान हैं कि जानवरों को प्याज खिला रहे हैं. यहां मंडी में प्याज बेचने पर किसान तो 2 रुपये किलो का भाव मिल रहा है. खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर के दायरे में 700 से अधिक किसानों को प्याज खून के आंसू रुला रहा है. व्यापारी अच्छा प्याज भी किसानों से दो से तीन रुपए किलो में खरीद रहे हैं. नागझिरी, बड़गांव, बिस्टान, गोपालपुरा, घट्टी सहित आस-पास के 25 से अधिक गांवों में किसानों ने प्याज लगाया था.

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किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब

किसान राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि मंडी में प्याज तीन चार रुपये किलो में बिक रही है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो रही हैं. लागत 55000 रुपये है लेकिन उपज पर 25000 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. मजबूरी में फसल मवेशियों खिला रहे हैं.

(धार से छोटू शास्त्री, आगर से प्रमोद कारपेंटर, खरगोन से उमेश रेवलिया के साथ रवीश पाल सिंह, भोपाल, आजतक )


 

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