
गोरखपुर का जिक्र आते ही आपके जेहन में कई ऐतिहासिक और खाने पीने वाली जगहों की याद ताजा हो जाती है, लेकिन गोरखपुर की एक अपनी अलग पहचान और ऐतिहासिक छवि रही है. कुछ ऐसा ही इतिहास गोरखपुर के पनियाले का भी है. यह एक ऐसा फल है जो बहुत लोगों को पसंद आता है. दिखने में जामुन की तरह और स्वाद में खट्टा मीठा, इसकी एक अलग ही पहचान है और ऐसा कहा जाता है पूरे भारत में सिर्फ गोरखपुर का ही पनियाला फेमस है.
पनियाला को मिला जीआई टैग
गोरखपुर के इस फेमस फल को अब जीआई टैग मिल गया है. पनियाला को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जीआई टैग के लिए अनुमति मिल चुकी है. इससे खत्म होते जा रहे पनियाले के पेड़ को एक नई संजीवनी मिलने जा रही है.
खत्म होते जा रहे पनियाला के पेड़
पूरे देश में यहां का पनियाला सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. गोरखपुर के लच्छीपुर के आसपास गांव में इसके कई बगीचे थे, लेकिन समय बदला, आबादी बढ़ी, आबादी बढ़ी तो लोगों को जमीन और घर की जरूरत पड़ी जिसकी वजह से धीरे-धीरे शहर बढ़ता गया. लोग घर बनाने और शहर बढ़ाने के चलते पनियाला के पेड़ों को काटते चले गए, जहां कभी पनियाला के पेड़ों के बगीचे होते थे आज वहां मकानों का जंगल बन गया है.
औषधि गुणों की खान है पनियाला
गोरखपुर विश्वविद्यालय में 2011 से 2018 के बीच बॉटनी विभाग में शोध करने पर पता चला कि पनियाला गुणों का खान है. शोध के अनुसार, इसके पत्ते, छाल, जड़ों और फलों में बैक्टीरिया से प्रतिरोधआत्मक क्षमता होती है. पेट से जुड़े रोगों में पनियाला काफी लाभकारी होता है, लेकिन आज गोरखपुर का यह पनियाला कम होता नजर आ रहा है.
(रिपोर्ट: विनीत पांडे)