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खुशखबरी! अब 18 प्रतिशत तक टूटे हुए अनाजों को बेच सकेंगे किसान, मूल्यों में नहीं की जाएगी कटौती

अनाज का सूखना या मुरझाना और टूटना एक प्राकृतिक घटना है. मार्च के महीने में देश के उत्तरी भाग में भारी गर्मी की वजह से ऐसी स्थिति सामने आती है. इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने पंजाब और हरियाणा में बिना किसी मूल्य कटौती के 18 प्रतिशत तक सूखे या मुरझाए या टूटे हुए अनाजों की खरीद पर छूट दी है.

Government relax procurement norms for shrivelled and broken wheat grains Government relax procurement norms for shrivelled and broken wheat grains
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST
  • टूटे हुए अनाज की सीमा  6 प्रतिशत है
  • अब 18 प्रतिशत तक टूटे हुए अनाजों की हो सकेगी खरीद

केंद्र ने भारतीय खाद्य निगम-एफसीआई को चंडीगढ़ सहित पंजाब और हरियाणा में बिना किसी मूल्य कटौती के 18 प्रतिशत तक सूखे या मुरझाए और टूटे हुए अनाजों की खरीद पर छूट दी है. माना जा रहा है कि इस निर्णय से गेहूं की बिक्री पर किसानों की कठिनाइयां कम होंगी और संकट से बच सकेंगे.

20 प्रतिशत तक की छूट देने की थी मांग

पंजाब और हरियाणा राज्य सरकारों ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) को पत्र लिखकर रबी विपणन सत्र-आरएमएस 2022-23 के लिए गेहूं के समान विनिर्देशों में छूट देने की मांग की है. वर्तमान में सूखे या मुरझाए और टूटे हुए अनाज की सीमा  6 प्रतिशत है. जब कि इन राज्यों ने 20 प्रतिशत तक की छूट मांगी थी.

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पंजाब और हरियाणा में मंडियों से बहुत विशाल मात्रा में नमूने एकत्र करने के लिए अप्रैल-मई, 2022 के दौरान केंद्रीय दलों को प्रतिनियुक्त किया गया था और इनका विश्लेषण एफसीआई की प्रयोगशालाओं में किया गया था. जांच के बाद परिणामों ने अलग-अलग प्रतिशत और एफएक्यू मानदंडों से हट कर बड़ी संख्या में सूखे या मुरझाए और टूटे हुए अनाज की उपस्थिति का संकेत मिले थे.

अनाज का टूटना प्राकृतिक घटना

अनाज का सूखना, मुरझाना और टूटना एक प्राकृतिक घटना है जो मार्च के महीने में देश के उत्तरी भाग में अत्यधिक गर्मी की लहर की वजह से सामने आती है. ऐसा होना किसानों के नियंत्रण से बाहर हैं और इसलिए, ऐसी प्राकृतिक घटना के लिए उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. इस छूट से किसानों के हितों की रक्षा करेगी और खाद्यान्न की उचित खरीद और वितरण को बढ़ावा देगी.

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गेहूं की उपज में देखी गई थी गिरावट

आरएमएस 2021-22 के दौरान गेहूं का उत्पादन 1095 लाख मीट्रिक टन-एलएमटी और 433 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई थी. आरएमएस 2022-23 के दौरान, 1113 एलएमटी गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था. लेकिन गर्मियों की शुरुआत (मार्च 2022 के अंत तक) के परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा में अनाज की बनावट में परिवर्तन हुआ और अनाज के सूखने या मुरझाने और टूटना सामने आया और प्रति एकड़ गेहूं की उपज में गिरावट आई. इसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की खरीद के लक्ष्य को संशोधित कर 195 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है.इसी तरह का निर्णय 2020-21 में भी लिया गया था, जब किसानों के हितों की रक्षा के लिए टूटे हुए आनाजों की खरीद में 16 प्रतिशत तक की छूट दी गई थी.

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