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यूपी में एग्रीकल्चर ड्रोन, पराली मैनेजमेंट मशीनों पर मिल रही भारी सब्सिडी, 20 दिसंबर से पहले करें आवेदन

उत्तर प्रदेश में एग्रीकल्चर ड्रोन, पराली मैनेजमेंट मशीनों पर भारी सब्सिडी दी जा रही है. अगर आप इसका लाभ लेना चाहते हैं तो 20 दिसंबर से पहले आवेदन कर दें. आइए जानते हैें डिटेल्स.

Subsidy on stubble machines Subsidy on stubble machines
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

भारत का एक बड़ा वर्ग खेती-किसानी पर निर्भर है. हमारे देश में आजकल पढ़े-लिखे बड़ी-बड़ी डिग्री वाले लोग भी खेती कर रहे हैं. वहीं, सरकार की तरफ से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. साथ ही खेती-किसानी के लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. अगर आप भी खेती करने का सोच रहे हैं तो आपके लिए बढ़िया मौका है. दरअसल, यूपी सरकार किसानों को पराली मैनेजमेंट मशीनों पर भारी सब्सिडी दे रही है. अगर आप भी इसका लाभ लेना चाहते हैं तो 20 दिसंबर से पहले आवेदन कर दें.

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कृषि यंत्र (मशीन) पर किसानों को सब्सिडी
उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन और फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि यंत्र (मशीन) पर किसानों को सब्सिडी दे रही है. इसके लिए आवेदन कर काफी लाभ ले सकते हैं. सरकार का मानना है कि अगर किसानों को खेती में उन्नत तरीकों और आधुनिक मशीनों की खरीदारी के लिए मदद की जाएगी तो वे काफी प्रोत्साहित होंगे और ज्यादा से ज्यादा लोग खेती करेंगे. 

कैसे मिलेगा इस योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन पोर्टल https://agriculture.up.gov.in/ पर 20 दिसंबर से पहले जाकर आवेदन करना होगा. कृषि विभाग की तरफ से एग्रीकल्चर ड्रोन, फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र (पराली मैनेजमेंट मशीन), कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक पर 50 से 80 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है. अगर आप इसके लिए आवेदन करना चाहते हैं तो 2500-5000 रुपये बुकिंग शुल्क देना होगा. 

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पराली जलाने की घटनाओं में आएगी कमी
आपको बता दें कि सरकार का मकसद किसानों को प्रोत्साहित करना और फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि मशीनों पर किसानों को सब्सिडी देकर पराली जलाने की घटनाओं को रोकना है. प्रदेश में वर्ष 2017 में पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं, वर्ष 2023 में 3,996 ही मामले सामने आए हैं. पिछले सात सालों का रिकॉर्ड देखें तो पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट देखी गई है. इस प्रकार करीब 4,788 मामले कम हुए हैं.

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