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यूपी: औरैया में जिला प्रशासन की पहल, इस योजना के तहत किसानों को पराली के बदले मिलेगा खाद

उत्तर प्रदेश के औरैया जिला प्रशासन ने अनूठी पहल शुरू की है. जिले के अधिकारी किसानों को प्रोत्साहित कर रहे है कि वो अपने खेतों में पराली जलाने की बजाए, उसका इस्तेमाल खाद बनाने के लिए करें.

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सूर्य प्रकाश शर्मा
  • औरैया,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:48 PM IST

उत्तर प्रदेश के औरैया में इस समय जिला अधिकारी द्वारा किसानों के लिए एक अच्छी योजना चलाई गई है, जहां किसानों को पराली जलाने से निजात मिल जाएगी और उन्हें पराली के बदले गोबर को खाद दी जाएगी. इस योजना के तहत गौ शालाओं से किसान पराली जलाने के बजाय गौ शालाओं को पराली दे सकते हैं और बदले में गोबर की खाद ले सकते हैं. औरैया जिला अधिकारी द्वारा किसानों के लिए ये योजना इसलिए बनाई गई है, ताकि किसान पराली ना जला सकें और उन्हें जुर्माना भी ना देना पड़े. 

यूपी के औरैया में पराली के निपटारे के लिए प्रशासन की पहल

औरैया जिला अधिकारी की पहल काफी सराहनीय है और ये किसानों की सुविधा के लिए बनाई गई है. बता दें कि किसानों के द्वारा धान की पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है. वहीं पराली जलाने को लेकर किसानों से जुर्माना भी वसूला जाता है. इन सबसे बचने के लिए प्रशासन द्वारा एक स्कीम चलाई गई है, जिसमें किसानों के द्वारा दो ट्राली पराली गौ शालाओं में देकर एक ट्राली गोबर की खाद ली जा सकती है. इससे किसानों को खेतों के लिए अच्छी गुणवत्ता की खाद मिल जाएगी. 

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आजतक की टीम जब गौ शालाओं में पहुंची तो प्रधान ने बताया "हम लोगों को खेतों से पराली लानी पड़ रही है. किसान अपने आप नहीं ले रहे हैं. किसानों का कहना है कि हम लोग पराली लेकर आयेंगे तो उसका भाड़ा लगेगा. वहीं गौ शालाओं में गोबर की खाद को सीधा बेच दिया जाता है, उससे जो रुपए मिलते है उसके बदले में चारे के लिए पराली एवं दाना खरीद कर चारा दिया जाता है. प्रधान के द्वारा खेतों में जेसीबी मशीन की व्यवस्था कराई जाए, जिससे पराली की लोडिंग हो सके और किसानों का भाड़ा न लगे."

बता दें कि उत्तर प्रदेश के औरैया जिला प्रशासन ने अनूठी पहल शुरू की है। जिले के अधिकारी किसानों को प्रोत्साहित कर रहे है कि वो अपने खेतों में पराली जलाने की बजाए, उसका इस्तेमाल खाद बनाने के लिए करें. जिला प्रशासन की इस पहल का मकसद किसानों को पराली जलाने से रोकना है. अधिकारियों का कहना है कि किसान पराली को जलाने की बजाए पशुओं के चारे के रूप में पशुपालन विभाग को दे सकते हैं और बदले में उनसे खाद ले सकते हैं. किसानों ने जिला प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है। पराली जलाना उत्तर भारत में लंबे समय से मुद्दा बना हुआ है. ज्यादातर लोग इसे सर्दी के मौसम में एयर क्वालिटी खराब होने की वजह मानते हैं. यही वजह है कि कुछ राज्य सरकारों ने पराली जलाने के खिलाफ कानून बनाया है.

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