
खराब मानसून के चलते खरीफ फसलों का बेहद नुकसान हुआ था. इस दौरान बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद हुई थी. झारखंड भी उन्हीं प्रभावित राज्यों में से एक है. इस वजह से धान की बुवाई कम हुई थी. अब धान की खरीददारी करने में भी राज्य पिछड़ रहा है. हालात ये हैं कि राज्य के दो जिले साहेबगंज और दुमका में एक भी किसान सरकारी केंद्रों पर धान बेचने नहीं पहुंचा.
धान खरीद के लक्ष्य के आसपास भी नहीं राज्य
किसान तक के मुताबिक, पिछले खरीफ वर्ष में राज्य सरकार ने आठ लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा था. सूखे के चलते धान उत्पादन कम हो सका, जिसकी वजह से ये लक्ष्य आधा हो गया है. बता दें कि धान की खरीद शुरू हुए एक महीना से अधिक का समय बीत चुका है. लेकिन, धान खरीद का लक्ष्य टारगेट के आसपास भी नहीं पहुंच सका है. हालांकि, पिछली बार भी राज्य सरकार धान खरीद के आंकड़े को पूरा नहीं कर पाई थी. इसलिए धान खरीद की तिथि को अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया था.
क्यों हुए ऐसे हालात...
दरअसल, खरीफ सीजन के दौरान झारखंड के 24 में से 22 जिलों के 226 प्रखंड गंभीर सूखे की चपेट में रहे हैं. इन प्रखंडों में धान की खेती पर व्यापक असर पड़ा था. नतीजतन उत्पादन में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. इसके कारण पूरी धान की सरकारी खरीद प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें तत्काल पैसे की जरूरत थी. इसके कारण उन्होंने निजी दुकानों या बिचौलियों को जाकर धान बेच दिया, क्योंकि इनके पास से किसानों को तुरंत पैसे मिल जाते हैं, जिससे किसान अपना खर्च चलाते हैं.