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मध्य प्रदेश: उत्पाती हाथियों का सामना करेंगी मधुमक्खियां, फसल बचाने के लिए सरकार ने बनाया ये प्लान

जंगली हाथियों का झुंड इधर-उधर भटकते हुए खेती-किसानी वाले क्षेत्रों में आकर काफी तबाही मचा देते हैं. इन हाथियों के साथ कैसे पेश आना है सरकार ने इसके लिए एसओपी भी जारी किया है. हाथियों को खेती-किसानी वाले इलाकों से भगाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मधुमक्खी के बक्सों को स्थापित करने की सलाह दी गई है.

Wild elephant Wild elephant
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में जंगली हाथियों का काफी आतंक है. हाथियों के झुंड फसलों को नष्ट कर देते हैं. हाल ही के कई महीनों में इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष भी दिखाई दिया. राज्य सरकार ने अब इन हाथियों को फसल से दूर रखने के लिए छोटी मधुमक्खियों का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.

हाथियों को कंट्रोल करने के लिए एसओपी जारी

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दरअसल, हाथियों के झुंड महुआ फूलों की वजह से नशे में आ जाते हैं. इसके चलते वह इधर-उधर भटकते रहते हैं. इस दौरान वह काफी तबाही मचा देते हैं. इन हाथियों के साथ कैसे पेश आना है सरकार ने इसके सिए एसओपी भी जारी किया है. इस दौरान हाथियों को खेती-किसानी वाले इलाकों से भगाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मधुमक्खी के बक्सों को स्थापित करने की सलाह दी गई है. हाथियों को मधुमक्खियों से बेहद डर लगता है. दरअसल, मधुमक्खियों हाथियों के सूंड और आंखों पर डंक मारती हैं, जिसे हाथी पसंद नहीं करते हैं.

इन क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को दिया जाएगा बढ़ावा

सरकार द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी और मंडला जिलों के गांवों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे हाथियों से फसलों को बचाया जाएगा. साथ ही लोगों के लिए आजीविका का एक बढ़िया साधन भी उपलब्ध हो जाएगा.

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अधिकारियों के अनुसार, खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने अपने प्रमुख "हनी मिशन" कार्यक्रम के माध्यम से पिछले साल मुरैना जिले में 10 लाभार्थियों को मधुमक्खी के 100 बक्से वितरित किए थे. साथ ही राज्य वन विभाग ने स्थानीय समुदायों के बीच हाथी को वश में करने और भगाने के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया है.

हाथियों को कंट्रोल करते वक्त बरतें संयम

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान बताते हैं कि थोड़ी सी समझ और संयम बरतने से लोग काफी हद तक हाथियों से जान-माल के नुकसान से बच सकते हैं. साथ ही उच्च तीव्रता वाली रोशनी, पटाखों, मिर्च पाउडर के साथ गाय के गोबर के उपलों को जलाने, मधुमक्खियों की भनभनाहट की आवाज और ढोल पीटने से इन्हें भगाया जा सकता है. उन्होंने आगे बताया कि हमारा विभाग स्थानीय लोगों के साथ इन समय-परीक्षणित तकनीकों को साझा कर रहा है. हम 'हाथी मित्र दल' का गठन कर रहे हैं. इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में हाथियों को दूर रखने के लिए सोलर फेंसिंग लगाई जाएगी.

पिछले साथ हाथियों के हमले में 8 लोगों की गई जान

जे एस चौहान कहा कि स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे हाथियों पर पत्थर न फेंकें या उनका सामना न करें. इससे वे उत्तेजित हो सकते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल आठ से अधिक लोग छत्तीसगढ़ से आए जंगली हाथियों द्वारा मारे गए थे. पिछले साल अप्रैल में शहडोल के अमझोर इलाके में हाथियों के झुंड ने पांच लोगों को मार डाला था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2017 में सिर्फ सात हाथी थे. “यह संख्या अब 60 अंक को छू चुकी है. 

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अजय दुबे (वन्यजीव विशेषज्ञ)  बताते हैं कि शहडोल में महज दो दिनों में हाथियों द्वारा पांच लोगों की जान लेने के बाद राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया था. पिछले कुछ वर्षों में स्थिति कितनी खतरनाक हो गई है.झारखंड और ओडिशा में पेड़ों की अवैध कटाई, खनन, रैखिक बुनियादी ढांचे, अन्य चीजों के साथ बिजली परियोजनाओं के कारण आवास के विखंडन ने हाथियों को छत्तीसगढ़ और बाद में मध्य प्रदेश जाने के लिए मजबूर किया है. 

 

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