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मध्य प्रदेश: संकट में मशहूर 'नूरजहां' आम! बचे हैं सिर्फ 8 पेड़, फलों का भी घट रहा वजन

Madhya Pradesh Famous Mango: नूरजहां आम की पैदावार मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा इलाके में ही होती है, जो गुजरात से सटे क्षेत्र में है. यह इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर है. एक नूरजहां आम का वजन 2 से 4.5 किलो तक हो सकता है.

Noorjahan Mango (Representational Image) Noorjahan Mango (Representational Image)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

मध्य प्रदेश का फेमस नूरजहां आम संकट में है. अलीराजपुर जिले में इस आम के सिर्फ 8 पेड़ बचे हैं. साथ ही, इन आम का वजन भी कम होता जा रहा है. अलीराजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि कट्ठीवाड़ा इलाके में निजी बागों में केवल आठ 'नूरजहां' आम के पेड़ बचे हैं जो चिंता का विषय है. 

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उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले आम की इस किस्म के एक फल का वजन 4.5 किलोग्राम तक होता था, लेकिन अब यह घटकर 3.5 किलोग्राम रह गया है. उन्होंने आगे बताया कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए 'नूरजहां' आम को बचाना चाहते हैं. हमने प्रपोगेशन के माध्यम से दो पेड़ लगाए हैं. उम्मीद है कि अगले तीन से चार सालों में पेड़ में फल आने लगेंगे. इसके बाद, हम प्रपोगेशन का प्रयोग करके और पेड़ तैयार करेंगे. 

उन्होंने कहा कि नूरजहां आम साइज में बड़ा होता है और इसमें बहुत गूदा होता है, लेकिन ये आम की बाकी किस्मों की तरह स्वादिष्ट नहीं होता है. उन्होंने यह भी बताया कि हम अलग-अलग रिसर्च के जरिए इस आम के स्वाद को बढ़ाना चाहते हैं. चूंकि इस आम की किस्म में बहुत अधिक गूदा होता है, इसलिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इसके उपयोग की संभावनाएं उज्ज्वल हैं. 

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डॉ यादव ने बताया कि काठिवाड़ा क्षेत्र की नम जलवायु और मिट्टी  'नूरजहां' की खेती के लिए अनुकूल है और इस क्षेत्र में आम की अन्य किस्मों का वजन भी देश के अन्य हिस्सों में पैदा होने वाले आमों की तुलना में अधिक है. उन्होंने जानकारी दी कि आम के मौसम के दौरान, काठिवाड़ा के बाजारों में प्रतिदिन 80 से 100 टन फलों की विभिन्न किस्मों की बिक्री होती है. 

कठिवाड़ा के एक प्रमुख आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने कहा, "पिछले साल, मेरे बगीचे में सबसे भारी नूरजहां आम का वजन 3.8 किलोग्राम था और मैंने इसे 2,000 रुपये में बेचा." वहीं, कट्ठीवाड़ा में वर्षों से आम की खेती कर रहे इशाक मंसूरी कहते हैं कि आम की ये किस्म बदलते मौसम को लेकर बहुत संवेदनशील है.

मंसूरी ने बताया कि इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते नूरजहां के फूल नष्ट हो गए हैं. बता दें, इस किस्म के पेड़ जनवरी से फलने लगते हैं और जून तक इसके फल तैयार हो जाते हैं. 

 

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