
देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में हजारों किसान इस साल सोयाबीन बीज की कमी से परेशान हैं. कई किसानों ने इस साल बीज की कमी और महंगे बीज के चलते सोयाबीन की फसल से दूरी बना ली है. कांग्रेस ने इसे सरकार की नाकामी बताया है और आशंका जताई है कि कहीं मध्य प्रदेश से सोया स्टेट का तमगा ना छिन जाए. तो सरकार के कृषि मंत्री किसानों को सोयाबीन नहीं उगाने की सलाह दे रहे हैं.
सोयाबीन की उपज के मामले में देश भर में अव्वल रहने वाले मध्य प्रदेश में इस साल सोयाबीन के बीज का ही संकट हो गया है. किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. एक ओर सरकारी सोसाइटी में बीज की किल्लत तो दूसरी तरफ बाजार से महंगा बीज खरीदने की मजबूरी... किसानों के सामने इस साल सोयबीन के अलावा दूसरी फसल उगाने के बजाय दूसरा कोई विकल्प ही नहीं बचा था. किसानों की इसी मजबूरी को जानने आजतक की टीम भोपाल से सटे सीहोर जिले में पहुंची. यहां के चंदेरी गांव में करीब 300 किसान रहते हैं. सभी किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती सालों से करते आए हैं लेकिन इस साल सोयाबीन की जगह मक्का ने ले ली है.
गांव के एक किसान एमएस मेवाड़ा ने पिछले साल करीब 30 एकड़ में सोयाबीन बोई थी लेकिन इस साल बीज की कमी से 25 एकड़ में मक्का बोनी पड़ी. वहीं 2 एकड़ खेत में महज़ एक क्विंटल बीज से सोयाबीन की बुवाई करनी पड़ी. मेवाड़ा को अब चिंता इस बात की सता रही है कि जब सब मक्का ही बो रहे हैं तो फिर बम्पर पैदावार होने से फसल का सही दाम ही नहीं मिलेगा तो फिर किसान का तो बर्बाद होना तय है.
इसी गांव के एक अन्य किसान गोपाल करीब 5 एकड़ खेत के मालिक हैं. गोपाल हर साल सोयाबीन उगाते थे लेकिन इस साल सोयाबीन का रकबा घटा दिया है. गोपाल ने 5 एकड़ में से 3 एकड़ जमीन पर इस साल मक्का बोया है और बाकी 2 एकड़ पर सोयाबीन की बोवनी की है. पूछने पर बताते हैं कि सरकारी सोसाइटी से बीज नहीं मिला तो शहर जाकर निजी व्यापारी से 12 हजार रुपये क्विंटल पर सोयाबीन के बीज खरीदे इसलिए इस साल कम सोयाबीन उगानी पड़ी.
आखिर देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य में सोयाबीन के बीज की किल्लत क्यों हुई? इस सवाल के जवाब में जिले के कृषि अधिकारी आर.एस.जाट ने बताया कि पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब होने की वजह से बीज की उपलब्धता कम हो गई थी. इसलिए इस साल सोयाबीन के बीजों की कमी है. अफसर कह रहे हैं कि फसल बर्बाद होने पर बीज उपलब्ध नहीं हुए. ऐसे में सरकार की कोशिश तो यही होनी चाहिए थी कि किसानों को उचित मूल्य पर बीज उपलब्ध करवाया जाता लेकिन सूबे के कृषि मंत्री इसकी जगह खुद ही किसानों को सोयाबीन नहीं उगाने की सलाह दे रहे हैं.
कृषि मंत्री कमल पटेल के मुताबिक सोयाबीन में अब किसानों को उतना फायदा नहीं जितना पहले होता था. अब लागत बढ़ने के बाद सोयाबीन का मुनाफा घटा है इसलिए किसान सोयाबीन की जगह दूसरी फसल उगाएं तो बेहतर होगा. मंत्री कमल पटेल के मुताबिक खुद उन्होंने इस साल सोयाबीन ज्यादा मात्रा में ना उगाकर मक्का ही लगाई है क्योंकि लगातार सोयाबीन की लागत बढ़ती जा रही है जबकि उत्पादन उतना नहीं होता जिससे किसान को घाटा उठाना पड़ रहा है.
कांग्रेस नेता और पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने इस मामले में आजतक से बात करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश में पिछले साल करीब 58 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई थी लेकिन इस साल इसमे भारी कमी होने के आसार हैं. ऐसे में सरकार को सोयाबीन की खेती पर किसानों को हतोत्साहित करने के बजाय उन्हें समय पर उचित मूल्य पर बीज उपलब्ध करवाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. मध्य प्रदेश अपने सोयाबीन के लिए पूरी दुनिया मे जाना जाता है ऐसे में सोयाबीन की किल्लत इस छवि को नुकसान पहुंचा सकती है.