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11 साल अमेरिका में रहे, माइक्रोसॉफ्ट में काम किया, फिर वतन वापस लौट किसानों के लिए ऐसे बने सहारा

रुचित ने बताया कि भारत आने के बाद हार्वेस्टिंग फार्मर नेटवर्क के नाम से कंपनी की शुरुआत की. इसके जरिए से किसानों को बायर्स से सीधे कनेक्ट किया. साल 2020 में किसानों के लिए HFN Kisan नाम से मोबाइल ऐप बनाई. इस ऐप पर किसान अपनी फसल को सीधा बेच सकते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
मदन गोपाल तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST
  • ऐप के जरिए सीधे खरीदार को फसल बेच सकते हैं किसान
  • ऐप को बनाने वाले रुचित गर्ग ने माइक्रोसॉफ्ट में किया है काम

देशभर में हर साल बड़ी संख्या में किसान खेती में हुए नुकसान और कर्ज की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सालों से किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही हैं, लेकिन अब भी अन्य पेशों के मुकाबले किसान आर्थिक रूप से बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आता है. किसानों की इन सब समस्याओं को देखते हुए किसानों के लिए काम करने वाले रुचित गर्ग ने एक ऐसी मोबाइल ऐप्लीकेशन बनाई है, जिसके जरिए से किसान फसलों को सीधा कारोबारियों और ग्राहकों को बेच पा रहा है. एंड्रॉयड और आईओएस, दोनों ही प्लेटफॉर्म पर यह ऐप उपलब्ध है और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही है. इस ऐप का नाम हार्वेस्टिंग फार्मर नेटवर्क (HFN) है.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे रुचित ने अमेरिका में दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में भी सालों तक काम किया है और फिर वहां से उन्होंने किसानों के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसके जरिए से दुनियाभर के अन्नदाताओं को मदद पहुंचाई. दो साल पहले रुचित अपने परिवार के साथ अमेरिका से वापस भारत चले आए और लॉकडाउन से लेकर अब तक न जाने कितने किसानों का सहारा बन चुके हैं.

रुचित बताते हैं कि उन्होंने साल 2005 में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ज्वाइन की. इसके बाद उन्होंने तीन सालों तक हैदराबाद में कंपनी के लिए काम किया और फिर उन्हें अमेरिका भेज दिया गया. इसके तीन साल के बाद साल 2011 में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी छोड़ दी और खुद अमेरिका में अपनी कंपनी बनाई. बाद में साल 2016 में उन्होंने अपनी यह कंपनी बेच दी. इसके बाद किसानों के लिए काम करने की चाहत रुचित को किसानी खेती के क्षेत्र की ओर ले आई. उन्होंने एआई और सैटेलाइट डेटा पर काम करते हुए किसानों की मदद की. इस हाईटेक टेक्नोलॉजी के जरिए से किसानों को लोन और इंश्योरेंस मिल सकता था. इसके बारे में पता चल सकता था कि कौन सी फसल की खेती किस क्षेत्र में की जाए, जिससे फायदा हो. इसके बाद साल जुलाई-अगस्त 2019 में वह भारत वापस आ गए.

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किसानों को बायर्स से किया कनेक्ट 
आजतक डॉट इन से बात करते हुए रुचित ने बताया कि भारत आने के बाद हार्वेस्टिंग फार्मर नेटवर्क के नाम से कंपनी की शुरुआत की. इस तकनीक के जरिए से किसानों को बायर्स से सीधे कनेक्ट किया. ट्विटर पर अपना वॉट्सऐप नंबर दिया और फिर अप्रैल, 2020 में किसानों के लिए HFN Kisan नाम से मोबाइल ऐप बनाई. इस ऐप पर किसान अपनी फसल को सीधा बेच सकते हैं और दुनिया का कोई भी खरीदार इसे खरीद सकता है. इसके लिए किसान से कोई कमीशन नहीं लिया जाता. रुचित का दावा है कि देश के 30 राज्यों के किसान ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले 12 महीने में 425 मिलियन डॉलर का प्रोडक्ट किसानों ने ऐप पर लगाया और यह प्रोडक्ट विदेशों तक भी गया. 

ऐप के जरिए से किसी ने अदरक की मांग की तो सीधे उसे किसानों से कनेक्ट कर दिया गया और फिर वहां उसे डिलिवर कर दिया. वहीं रुचित ने बताया कि मेघालय की 20 हजार किलो की अदरक की बिक्री किसान ने सीधे साउथ अफ्रीका में की. वहीं, दुबई के रहने वाले व्यापारी ने ऐप के जरिए से केले खरीदे. इस तरह से किसान अपनी फसल को सीधे विदेशों तक भी बेचने में सफल हुए. 

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ऐप पर किसानों को दी जाती है एडवाइस
मोबाइल ऐप पर सलाहकार सिस्टम भी बनाया गया. जहां पर 60 से अधिक फसलों के बारे में आठ भाषाओं में ऑटोमैटिक एडवाइस दी जाती है. ऐप डाउनलोड करने के बाद माई फार्म में रजिस्टर कर दें. इसके बाद किसानों को आने वाले मुद्दों के बारे में जानकारी देते हैं. बीज से लेकर बाजार तक की सुविधाओं को मोबाइल ऐप के जरिए कनेक्ट कर दिया गया. किसान मोबाइल ऐप पर बीज भी खरीद सकते हैं. कुदाल आदि की भी खरीद कर सकते हैं. रुचित ने बताया कि अब हमने एचएफएन किसान लॉन्च किया है. इस नेटवर्क से युवा भी जुड़ रहे हैं और किसानों की मदद कर रहे हैं. 

 

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