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क्या किसानों को मिलनी चाहिए MSP की कानूनी गारंटी? जानें क्या है जनता की राय

विधानसभा चुनाव से पहले जनता के बीच कई तरह के सर्वे किए जा रहे हैं. जिसमें लोगों से पूछा गया कि क्या किसानों को MSP की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं क्या है जनता की राय.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

लोकसभा चुनाव के बाद अब सियासी गलियारे में विधानसभा चुनाव की हलचल साफ नजर आ रही है. लोकसभा चुनाव में विपक्ष के शानदार प्रदर्शन के बाद अब विधानसभा चुनाव में किसान विरोध प्रदर्शन तूल पकड़ सकता है. विधानसभा चुनाव के पहले से ही किसान लगातार न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अब ऐसे कयास लगाएं जा रहे हैं कि किसानों के MSP का मुद्दे के असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है. इसी बीच विधानसभा चुनाव से पहले जनता के बीच कई तरह के सर्वे किए जा रहे हैं. जिसमें लोगों से पूछा गया कि क्या किसानों को MSP की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए या नहीं? तो चलिए जानते हैं क्या है जनता की राय.

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MSP के पक्ष में 87 परसेंट लोग 
विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे ग्रुप के सर्वे में जनता के बीच किए गए सर्वे में 87 फीसदी लोग मानते हैं हां किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए , जबकि 9 फीसदी लोगों का कहना है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं मिलनी चाहिए. इंडिया टुडे के मूड ऑफ द सर्वे में यह बात सामने आई. MSP को लेकर किसानों का प्रदर्शन 13 फरवरी से चल रहा है. एमएसपी के अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन की भी मांग कर रहे हैं. 

क्या है MSP?
सरकार किसानों से एक तय रेट पर फसल खरीदती है, उसे एमएसपी (MSP-Minimum support price) कहते हैं. MSP का मकसद है कि किसानों को उनकी फसल पर कम से कम एक सुनिश्चित राशि मिल पाएं. साथ ही बाजार में उतार-चढ़ाव के समय सिक्योरिटी कवर के तौर पर भी काम करता है. आसान भाषा में अगर समझे को आप मान लें कि किसी साल किसानों की फसल काफी अच्छी फसल मतलब कि बंपर पैदावार हुई. बंपर पैदावार होने के बाद मार्केट में फसल की कीमत कम हो जाती है. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है.  उस समय MSP किसानों के लिए एक तरह से बीमा पॉलिसी का काम करती है. साल 2020-21 में भी जब किसान कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो एमएसपी का भरोसा उनके आंदोलन की एक बड़ी वजहों में शामिल था. 

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MSP में 23 प्रकार के फसल शामिल
MSP में 23 प्रकार की फसलों को  शामिल किया गया है. जिसमें 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी), 5 दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर), 7 तिलहन (मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, शीशम, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजर सीड) और 4 वाणिज्यिक फसलें (खोपरा, गन्ना, कपास और कच्चा जूट) शामिल हैं.

45 फीसदी लोग बेरोजगारी
हरियाणा के 45 फीसदी लोगों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि सिर्फ 3 फीसदी लोगों ने कहा कि अभी सबसे बड़ा मुद्दा करप्शन है. जबकि 14 फीसदी लोगों का कहना है कि महंगाई बड़ा मुद्दा है.  51 फीसदी हरियाणा के लोगों के लिए  प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद पीएम मोदी बने हुए हैं, जबकि 41 फीसदी जनता चाहती है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए बेस्ट उम्मीदवार हैं.  

44 फीसदी लोग सरकार के काम से खुश
इस सर्वे के मुताबिक हरियाणा के 27 फीसदी लोगों का कहना है कि वह सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 44 फीसदी लोगों का कहना है कि वह सरकार के काम से असंतुष्ट हैं, जबकि 25 फीसदी लोगों का कहना है कि वह कुछ हद तक सरकार के कामकाज से खुश हैं.  

29 फीसदी लोग सांसदों के प्रदर्शन से संतुष्ट
सर्वे के मुताबिक हरियाणा में 29 फीसदी लोग सांसदों के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं, जबकि 21 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं, वहीं 38 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो सांसदों को कामकाज से असंतुष्ट हैं. अगर बात विधायकों के प्रदर्शन की बात करें तो 33 फीसदी जनता MLA के कामकाज से संतुष्ट है, जबकि 20 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट हैं, वहीं 40 फीसदी लोग विधायकों के प्रदर्शन से नाराज हैं.  
 

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