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पशुओं की संगीत थेरेपी, बांसुरी की धुन सुनकर ज्यादा दूध देने लगती हैं गाय-भैंस!

दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन से दुधारू पशुओं को तनाव रहित रखने के लिए करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में पारंपरिक तरीकों पर शोध किया गया. इस दौरान दुधारू पशुओं को रोजाना बांसुरी अथवा अन्य मधुर संगीत की धुन सुनाई गई. शोध में पाया गया कि संगीत सुनने वाले पशुओं का न केवल स्वास्थ्य बेहतर हुआ. साथ ही उनके दुग्ध उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है.

Music therapy on cow and buffalo Music therapy on cow and buffalo
aajtak.in
  • करनाल,
  • 25 जून 2023,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

तनाव की स्थिति किसी के लिए भी घातक हो सकती है. गाय-भैंस तो तनाव के चलते दूध देना ही कम कर देती हैं. ऐसे में पशुओं को तनाव मुक्त रखने के लिए करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने संगीत की थेरेपी का अनूठा प्रयोग किया है. इस प्रयोग का परिणाम बेहद सकारात्मक रहा. इससे दुधारू पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है. साथ ही पशुओं में अधिक चारा खाने की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है. इसके चलते पशुओं के दूध उत्पादन में इजाफा हुआ है. 

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संगीत सुनाकर ऐसे बढ़ाया जा रहा है पशुओं का दूध उत्पादन

दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन से दुधारू पशुओं को तनाव रहित रखने के लिए करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में  पारंपरिक तरीकों पर शोध किया गया. इस दौरान दुधारू पशुओं को रोजाना बांसुरी अथवा अन्य मधुर संगीत की धुन सुनाई जाती है. शोध में पाया गया कि संगीत सुनने वाले पशुओं का न केवल स्वास्थ्य बेहतर हुआ बल्कि उनके दुग्ध उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है.

वरिष्ठ पशु वैज्ञानिक डॉ आशुतोष ने बताया कि "काफी समय पहले सुना था कि गायों को संगीत एवं भजन काफी पसंद होते हैं. हमने जब यह विधि अपनाई तो उसका परिणाम काफी अच्छा निकला. एक शोध के अनुसार, विदेशी गायों के मुकाबले देसी गायों में मातृत्व की भावना अधिक होती है.  संगीत की तरंगें गाय के मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन हार्मोंस को सक्रिय करती है. गाय को दूध देने के लिए प्रेरित करती है. 

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1955 में खुला था करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान केंद्र

साल 1955 में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान केंद्र की स्थापना के बाद से ही पशुओं पर काफी शोध किया जा रहा है. यहां जलवायु में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए लगातार पशुओं पर प्रयोग किए जा रहे हैं. ये प्रयोग दुधारू पशुओं के अंदर दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं.

एक ही जगह बंधे रहने से पशुओं में होता है तनाव

डॉ आशुतोष ने कहा कि जिस तरह से हम पशु को एक ही जगह पर बांध कर रखते हैं. वह तनाव में आ जाता है. ठीक तरह से व्यवहार नहीं करता. इसको लेकर एक प्रयोग कर रहे हैं  जिसमें पशु अपने आपको रिलैक्स फील करता है. हम यहां पर पशुओं को उस तरह का वातावरण दे रहे हैं, जिसमें पशु के ऊपर कोई भी दबाव न हो. तनावमुक्त रखने हेतु संगीत और भजन का सहारा लिया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए है.

(करनाल से कमसदीप की रिपोर्ट)

 

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