
Odisha Less Rainfall, Farming News: ओडिशा में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की कम बारिश की वजह से धान की खेती प्रभावित हो रही है. भारतीय मौसम विभाग के भुवनेश्वर के वरिष्ठ वैज्ञानिक उमाशंकर दास ने कहा कि ओडिशा में मानसून के दौरान 1 जून से 30 जून तक 131.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. हालांकि, राज्य की स्वाभाविक औसतन बारिश 217.7 मिलीमीटर से 40 प्रतिशत कम है. इस साल राज्य के सभी 30 जिलों में स्वाभाविक से कम बारिश हुई है. दास ने कहा कि प्रदेश में कम बारिश के कारण धान के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
उमाशंकर दास ने 'आजतक' से बातचीत में बताया कि ओडिशा में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान 1 से 30 जून के दौरान स्वाभाविक औसतन बारिश 217.7 मिलीमीटर से 40 प्रतिशत कम दर्ज की गई है. आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 जून तक केवल 131.3 मिलीमीटर बारिश हुई है. दास ने कहा कि मॉनसून के दौरान ओडिशा के सभी जिलों में औसतन बारिश से कम बारिश दर्ज की गई है. यहीं नहीं बल्कि, राज्य के 8 जिलों में स्वाभाविक औसतन से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इन जिलों में पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़, नबरंगपुर, खुर्दा, भद्रक और बलांगीर का नाम शामिल है.
दास ने कहा कि ओडिशा के समुद्र तटीय जिला पुरी में इस वर्ष मॉनसून के समय कभी भी झमाझम बारिश नहीं हुई, जिसके कारण पुरी जिला में स्वाभाविक से 80 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं, केंद्रापाड़ा, सुंदरगढ़ और जगतसिंहपुर जिलों में औसतन से 60 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. दास ने कहा कि कम बारिश के कारण इन जिलों के किसान अपनी फसल को लेकर परेशान हैं. अगर आगामी दिनों में जिलों में झमाझम बारिश नहीं होती है तो किसानों की धान की उत्पादन नुकसान पहुंच सकता है.
हालांकि, दास ने कहा कि करीब 10 जुलाई के आस-पास एक लघु चाप बनने की संभावना है. उम्मीद है प्रदेश में किसानों को इस बारिश से लाभ मिलेगा. साथ ही प्रदेश में औसतन से कम हुई बारिश में गिरावट आएगी.
वहीं, खुर्दा जिले के एक किसान हरिहर महाराणा ने कहा कि मॉनसून के दौरान जिले में औसतन से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. अभी धान की खेती का समय है और धान की बुवाई के लिए खेतों में पानी होना अनिवार्य है. वहीं, कई स्थानों पर खेतों में दरारें पड़ना शुरू हो गई हैं. ऐसे में धान की पैदावार पर मार पड़ सकती है. हमारा जीवन खेतों में फसल की पैदावार पर निर्भर करता है, खेतों में फसल को नुकसान होने पर दैनिक जीवन पर इसका सीधा असर पड़ता है.
रमाकांत मोहंती नामक दूसरे किसान ने कहा कि खेतों में करीब-करीब धान की बुवाई का काम हो गया है. लेकिन अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो सारा धान का पौधा बर्बाद हो जाएगा. राज्य में मानसून की बेरुखी बारिश की वजह से धान की खेती प्रभावित हो रही है.