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पराली जलाने की घटनाओं में तेजी: पंजाब में अब तक 23,465 मामले, हरियाणा में 47 फीसदी की गिरावट

Stubble Burning in Punjab and Haryana: 4 नवंबर को उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों से सामने आया कि पंजाब में किसानों ने किस तरह एक ही दिन में 3,032 अलग-अलग जगहों पर पराली जलाई. हालांकि पिछले दो सालों की तुलना में यह घटनाएं काफी कम हैं.

Stubble Burning: (फाइल फोटो) Stubble Burning: (फाइल फोटो)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 09 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST
  • पंजाब और हरियाणा में एक दिन में पराली जलाने के 4600 मामले
  • हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 47 फ़ीसदी गिरावट

Stubble Burning in Punjab and Haryana: पंजाब और हरियाणा में जैसे-जैसे धान की कटाई का सीजन समाप्ति पर है, पराली जलाने की घटनाएं भी उसी गति से बढ़ रही हैं. रविवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के 4,600 मामले सामने आए. पंजाब में अब तक कुल 23,465 से अधिक पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी है. इनमें से 55 फीसदी से अधिक घटनाएं एक हफ्ते के भीतर दर्ज हुई हैं.

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3,032 अलग-अलग जगहों पर जलाई पराली  

4 नवंबर को उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों से सामने आया कि पंजाब में किसानों ने किस तरह एक ही दिन में 3,032 अलग-अलग जगहों पर पराली जलाई. हालांकि, पिछले दो सालों की तुलना में यह घटनाएं काफी कम हैं. साल 2019 में जहां इस दिन पराली जलाने के सबसे ज्यादा 5,953 मामले सामने आए थे वहीं 2020 में 4,908 मामले दर्ज किए गए थे.

हरियाणा का हाल 

पंजाब की तरह हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. राज्य में अब तक पराली जलाने के 3,666 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 228 मामले सिर्फ 4 नवंबर को सामने आए. हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों का मानना है कि पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में काफी गिरावट आई है. पिछले साल और इस साल की तुलना में यह गिरावट 47 फीसदी के आसपास है, क्योंकि पिछले साल 15 सितंबर से 4 नवंबर के बीच 6,581 घटना सामने आई थीं.

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पराली जलाना किसानों की मजबूरी 

वहीं, किसानों ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि छोटे किसानों के पास पराली प्रबंधन के लिए न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं और न ही इतने बड़े खेत. कांग्रेस सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए वित्तीय मदद देने की बात की थी, लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली. 'आज तक' ने मोहाली के दो किसानों परमिंदर सिंह और लखविंदर सिंह से बात की जिन्होंने माना कि पराली जलाना किसानों की मजबूरी है क्योंकि उनके पास संसाधन नहीं है.

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