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UP: बाराबंकी के यकुति आम की देश-विदेश में डिमांड, किसानों को हो रही लाखों की कमाई

बाराबंकी के यकुति आम के स्वाद का कोई जवाब नहीं है. इस बार इसकी अच्छी पैदावार भी हुई है. यहां के आम राजधानी के आमों को टक्कर दे रहे हैं. वैसे तो आमों की वैरायटी बहुत हैं, लेकिन जो मजा यकुति में है वो किसी और आम में नहीं है.

बाराबंकी का यकुति आम बाराबंकी का यकुति आम
सैयद रेहान मुस्तफ़ा
  • बाराबंकी ,
  • 25 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:08 AM IST
  • बाराबंकी के यकुति आम की हर ओर चर्चा
  • जिले में हज़ारों बीघे मीन पर आम की बाग
  • बाराबंकी के बागानों में आमों की कई किस्म मौजूद  

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के यकुति आम की देश-विदेश में बहुत डिमांड है. यहां मसौली के बड़ा गांव में हज़ारों बीघे मीन पर आम की बागान लगी है. लॉकडाउन में जब अधिकांश फलों की बिक्री कम होने से उनके भाव भी गिर गए थे, तब भी फलों के राजा आम का भाव नहीं गिरा. हर दिन यहां से मंडी में आम भरी गाड़ियां भेजी जा रही हैं. यह सब देखकर अब अधिकांश व्यापारी भी आम पर दांव लगा रहे हैं. 

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दरअसल, बाराबंकी के यकुति आम के स्वाद का कोई जवाब नहीं है. इस बार इसकी अच्छी पैदावार भी हुई है. यहां के आम राजधानी के आमों को टक्कर दे रहे हैं. वैसे तो आमों की वैरायटी बहुत हैं, लेकिन जो मजा यकुति में है वो किसी और आम में नही है. बागबानों को इसके दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. जिले में 12 हज़ार हेक्टेयर जमीन में आम लगे हैं और इस काम में लगभग 2 हज़ार किसान लगे हैं. 

लाखों की हो रही कमाई 
बाराबंकी में आम से किसान/बागबान लाखों से करोड़ों रुपये तक कमा रहे हैं. आम के बाग लगाने में पांच साल का समय लगता है. यकुति आम का पेड़ भी पांच साल बाद फल देने लगता है और कई सालों तक लगातार अच्छे फल देता है. जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. ये आम 150-200 रुपये किलो में बाजार में आसानी से बिक जाता है. 

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एक पेड़ को लगाने की लागत लगभग 5 हज़ार के आसपास आती है और फिर सालों-साल लाखों का लाभ आसानी से किसानों और बागबानों को नकद फसल के रूप में मिल जाता है. 

आमों की कई किस्म मौजूद  
इसके अलावा यहां के बागों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा और लखनऊ सफेदा, सुरखा, हुस्नहारा, कपूरी, गुलाब खास, आम्रपाली जैसी कई और भी प्रजातियां उगाई जाती हैं. हालांकि, यकुति आम बाराबंकी की खास पैदावार है. इस आम की दूर-दूर तक चर्चा है. व्यापारी और ग्राहक यहां के आमों को ज़्यादा तरजीह देते हैं.

लाखों मीट्रिक टन आम का उत्पादन 
यहां का आम्रपाली, लंगड़ा और दशहरी आम भी बहुत ही स्वादिष्ट होता है. खास बात यह है कि यहां पैदा होने वाला आम ज्यादा टिकाऊ होता है. वहीं बनारसी लंगड़ा आम बाराबंकी में जब से पैदा होना शुरू हुआ तो यह प्रजाति बाकी आमों से अव्वल हो गई है. यह आम भी जून और जुलाई में डाल से गिरने लगता है. जिले में इस बार आम की अच्छी पैदावार हुई है. आम का उत्पादन तकरीबन लाखों मीट्रिक टन में हुआ है. जिले से ही लखनऊ, गोंडा, बहराइच, फैजाबाद, गोरखपुर जैसे मंडियों में आम बेचा जाता है. रोज़ 15-20 ट्रक यहां से रवाना होते हैं. 

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बागबानी करने वालों का क्या कहना है?
बाराबंकी में आम की बागबानी और किसानी करने वाले शकेब और उस्मान कहते हैं, 'हम 19 साल से आम के बाग का काम कर रहे हैं. ये 32 बीघे की बाग को हमने 12 लाख रुपये मे खरीदा है. फसल भी अच्छी हुई. सब ठीक रहा तो 8-10 लाख रुपये का मुनाफा आसानी से एक सीजन में हो जाएगा. वैसे लॉकडाउन का भी थोड़ा बहुत असर रहा है और बारिश की वजह से भी थोड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन अगर ये न हो तो हम लोग लागत निकाल कर दुगुना कमा लेते हैं.'

वहीं बाराबंकी के उद्यान निरीक्षक गणेश चंद्र मिश्र ने बताया कि यहां लगभग 12 हजार हेक्टेयर में आम की खेती है. 2 हज़ार किसानों ने लगाई हुई है. 5 साल की मेहनत में 50 साल तक लाभ कमाते हैं. यहां जुलाई अगस्त तक आम रहता है.

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