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Potato farming: भारत देश एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ पुरुष प्रधान देश भी है. औरतों और लड़कियों को दबाने की सोच दशकों से चली आ रही है. लेकिन धीरे-धीरे यह सोच कम भी हुई है. अब महिलाएं हर जगह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकर चल रही हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले की एक होनहार बेटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है. जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है.
बलरामपुर जिले के रेहरा ब्लॉक के रामपुर अरना निवासी सुनीता जायसवाल ने एक बीघे में 22 क्विंटल आलू की पैदावार कर एक रिकॉर्ड बनाया है. सुनीता ने न केवल किसानों को वैज्ञानिक व आधुनिक खेती करने के लिए जागरूक किया है बल्कि खुद भी सहफसली खेती कर लोगों के लिए नज़ीर पेश की है. सुनीता ने एक बीघा क्षेत्रफल में 22 क्विंटल आलू पैदा कर अन्य किसानों के लिए कमाई की राह खोली है.
रेहरा ब्लॉक के रामपुर अरना निवासी छठीराम कृषि का कार्य करके परिवार का भरण पोषण करते है. चार बेटियों में सुनीता घर में दूसरे नंबर की बिटिया है. सुनीता सादुल्लाहनगर में एजी हाशमी डिग्री कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है. पिता के साथ परिवार की जिम्मेदारी साझा करने के लिए सुनीता भी कृषि कार्य में जुट गई.
सुनीता जायसवाल ने बताया कि उन्होंने देखा कि किसान की लागत के अनुरूप उतनी कमाई नहीं हो पा रही और परंपरागत खेती में लागत अधिक व उत्पादन कम होता है. उन्होंने गांव के किसानों को समझाना शुरू किया तो लोग उनपर ही ताने कसने लगे कि खुद खेती करके दिखाओ तब समझाने आना. कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए सुनीता ने सहफसली व वैज्ञानिक खेती खुद करने की ठान ली. घर वालों को उसकी सलाह अच्छी लगी.
नवंबर माह में पानी संस्था के जिला प्रबंधक राजीव मिश्र से दो क्विंटल पुखराज आलू लेकर बोआई कर दी. साथ ही अच्छी उपज के लिए उनके बताए विधि से खेती शुरू की. दो बार मिट्टी चढ़ाने व रसायनिक खाद के साथ देशी खाद डाली. जब आलू खोदाई हुई तो अच्छी उपज देख घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सुनीता ने एक बीघे में 22 क्विंटल आलू की खेती कर एक रिकॉर्ड बनाया है. सुनीता ने ये भी बताया कि सफेद पुखराज आलू का न केवल वजन ज्यादा होता है बल्कि अन्य आलू की अपेक्षा यह कम खराब होता है.
जिला कृषि अधिकारी डॉ.आरपी राणा का कहना है कि सुनीता ने कम समय में और आधुनिक खेती के जरिये एक मुक्कम हासिल कर एक रिकॉर्ड बनाया है. सुनीता की मेहनत, लगन और जज्बे से जिले के अन्य किसानों को सीख लेनी चाहिए.
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