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गेहूं की खेती करने वाले किसानों की सांसे अटकी हुई हैं. फरवरी महीने में बढ़ते हुए तापमान के चलते इसकी उपज काफी हद तक प्रभावित हो सकती है. इस बीच मुजफ्फरनगर में गोभी की खेती करने वाले किसानों की भी हालत बद से बदतर होती जा रही है. बाजार में गोभी को एक से दो रुपये में भी नहीं खरीदा जा रहा है.
किसान सड़कों पर फेंक रहे गोभी
गोभी पर कम रेट मिलने से परेशान किसान अपनी फसल को सड़क पर फेंक रहे हैं या फ्री में ही पब्लिक के बीच बांट रहे हैं. हालात ये हैं कि किसान खेतों से गोभी की फसल को मंडी तक ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
रेहड़ी का भाड़ा भी घर से देना पड़ रहा है
किसान मोहित कुमार की मानें तो गोभी के 1 बीघे की खेती में 10 हजार रुपये का खर्च आया था. उन्होंने कुल 10 बीघे में इस फसल को लगाया था. अब गोभी का रेट भी नहीं मिल रहा है. मेहनत-मजदूरी सब बेकार चला गया. किसान अब अपनी फसल सड़क पर फेंक रहे हैं या फ्री में जनता को बांट रहे हैं. मंडी से कुछ भी नहीं मिल रहा और रेहड़ी का भाड़ा भी घर से ही देना पड़ रहा है.
नहीं निकल रहा है ट्रांसपोर्ट का खर्चा
वहीं, किसान सुनील कुमार बताते हैं कि 12 बीघे में गोभी की फसल लगाई थी. प्रति बीघे 10 हजार रुपये की लागत आई थी. अब खेत से गोभी को मंडी ले जाने वाला हमारा ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकल पा रहे है. फ्री में भी बेहद कम लोग गोभी को घर ले जा रहे हैं. इस बार हमें तकरीबन 1 लाख रुपये का नुकसान हो गया है.