Advertisement

लाल धान से बदल रही उत्तरकाशी के लोगों की किस्मत! किसानों के साथ खेतों में उतरा ये IAS ऑफिसर

जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने पहली बार जिले की गंगा घाटी में भी लाल धान पैदा करने की योजना तैयार की थी. शुरुआती दौर में चिन्यालीसौड, डुंडा और भटवाड़ी ब्लॉक के पैंतीस गांवों के लगभग साढ़े चार सौ किसानों को इस प्रायोगिक मुहिम से जोड़ा गया था.

Red rice farming Red rice farming
ओंकार बहुगुणा
  • उत्तरकाशी,
  • 11 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

उत्तराखंड का उत्तरकाशी लाल धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां यमुना घाटी के पुरेला में बड़े स्तर पर लाल धान की खेती करके किसान मुनाफा कमा रहे हैं. इसी को देखते हुए जिले की गंगा घाटी में भी किसान लाल धान की खेती करने लगे हैं. उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला भी इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. वह खुद खेत में उतर कर ग्रामीणों के साथ जुताई व रोपाई करते दिखे.

Advertisement

लाल-धान की देश-विदेश में भी मांग

जिले की यमुना घाटी में परंपरागत रूप से बड़े पैमाने पर लाल धान (चरधान) की खेती की जाती है. रवांईं  क्षेत्र में पुरोला ब्लॉक कीकमल सिरांई व रामा सिरांई में लाल धान का सर्वाधिक उत्पादन होता है. इसके साथ नौगांव व मोरी ब्लॉक के निचले इलाकों में भी लाल धान उगाया जाता है. इन इलाकों में लाल धान की सालाना उपज करीब 3000 टन है. पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है. इसकी देश-विदेश में काफी मांग है.

गंगा घाटी में लाल धान की खेती के लिए बनाई गई थी योजना

जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने पहली बार जिले की गंगा घाटी में भी लाल धान पैदा करने की योजना तैयार की थी. शुरुआती दौर में चिन्यालीसौड, डुंडा और भटवाड़ी ब्लॉक के पैंतीस गांवों के लगभग साढ़े चार सौ किसानों को इस प्रायोगिक मुहिम से जोड़ा गया था. 60  कुंतल बीज की नर्सरी तैयार कर लगभग दो सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाल धान की रोपाई की गई थी.

Advertisement

सफल रही लाल धान की खेती

इस इस पहल को जमीन पर उतारने के लिए खुद जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने गत 29 जून को भटवाडी ब्लॉक के उतरौं गांव के सिमूड़ी तोक के 'सेरों' में जुताई व रोपाई की थी. अब फसलों की कटाई संपन्न होने पर यह मुहिम अंजाम तक पहुंची तो नतीजे उत्साहजनक और उम्मीदों के अनुरूप देखने को मिले हैं. इस मुहिम से जुड़े उतरौ गांव के किसान पूर्व सैनिक नरेन्द्र सिंह एवं उनकी माता शिव देई आदि लाल धान की पैदावार से काफी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि सामान्य धान की तुलना में दो से तीन गुना अधिक कीमत मिलने पर किसानों को इससे अधिक लाभ मिलना तय है.

बड़े स्तर पर होगी लाल धान की खेती

सिमूणी गांव के वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रही और  उपज लगभग दूसरे धान के बराबर ही रही. साथ ही इसकी पुआल पशुओं के चारे के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है. ज्यादातार किसानों ने अपनी पहली फसल को बीज के लिए सुरक्षित रख दिया है. अगले साल गंगा घाटी में बड़े पैमाने पर लाल धान की फसल लहलहाएगी.

किसानों की बदल सकती है किस्मत

जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने कहा कि इस तरह के सार्थक व साझा प्रयास आम लोगों के जिंदगी में बेहतर बदलाव ला सकते है. उन्होंने कहा कि लाल धान की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. केन्द्र सरकार की पहल एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत उत्तरकाशी जिले के लाल धान को शामिल किया गया है. साथ ही जिओ टैगिंग के लिए भी आवेदन किया गया है।.इससे जिले के लाल धान को देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान मिलेगी और ब्रांडिंग व मार्केटिंग में लाभ मिलेगा.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement