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राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना क्या है? पशुपालकों की आय बढ़ाने में है सहायक!

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना (Rashtriya Gokul Mission) के तहत सरकार स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने के अलावा कई अन्य उद्देश्यों पर भी काम कर रही है. जिससे किसान एवं पशुपालक आसानी से लाभ प्राप्त कर सकें.

गौशाला (सांकेतिक फ़ोटो) गौशाला (सांकेतिक फ़ोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2021,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST
  • स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण पर किया जा रहा कार्य
  • पशुपालकों की आय बढ़ाने में सहायक

Rashtriya Gokul Mission: भारतीय किसानों के पास खेती के अलावा आमदनी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत पशुपालन है. इसे बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की पशुपालन और डेयरी विभाग की तरफ से कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. केंद्र सरकार ने साल 2014 में 2025 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना (http://dahd.nic.in/rashtriya-gokul-mission) की शुरुआत की थी. जिससे स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास और संरक्षण किया जा सके और किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सके.

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पिछले कुछ सालों में देखा गया कि किसानों के बीच विदेशी नस्ल के मवेशियों को पालन की आदत बढ़ी है. लेकिन ये विशेषज्ञों का कहना है कि ये विदेशी पशु जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं. ऐसे में इनका पालन करना बेहतर विकल्प नहीं हैं. पशुपालन और डेयरी विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में इसमें से 80% मवेशी स्वदेशी और गैर-वर्णित नस्ल के हैं. 

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का उद्देश्य
    
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना (Rashtriya Gokul Mission) के तहत सरकार स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने के अलावा कई अन्य उद्देश्यों पर भी काम कर रही है. सरकार इस योजना के तहत किसानों को वह सभी सुविधा प्रदान करने को प्रयासरत है, जिससे उनके लिए पशुपालन आसान हो और उसका फायदा उठाकर वह अपने जीवनस्तर और ऊपर उठा सकें. 


1. स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण.
2. स्वदेशी नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम ताकि आनुवंशिक संरचना में सुधार हो और पशुओं की संख्या में वृद्धि हो.
3. रोग मुक्त उच्च आनुवांशिक गुण वाली मादा आबादी को बढ़ाकर और रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना.
4. दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना.
4. गिर, साहीवाल, राठी, देओनी, थारपरकर, लाल सिंधी जैसी उत्कृष्ट स्वदेशी नस्लों का उपयोग करके बाकि नस्लों की गायों का विकास करना.
5. प्राकृतिक सेवा के लिए रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक गुणता वाले बैलों का वितरण.
7. किसानों के घर पर गायों और भैंसों के गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाओं की व्यवस्था करना.
8. प्रजनकों और किसानों को जोड़ने के लिए बोवाइन जर्मप्लाज्म के लिए ई-मार्केट पोर्टल बनाना.
9. पशुधन और पशुधन उत्पादों के व्यापार में वृद्धि और किसानों की आमदनी में इजाफा करने का प्रयास.

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पशुपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाते हैं पुरस्कार

किसान पशुपालन में अधिक से अधिक देशी नस्लों को तरजीह दें. इसके लिए सरकार की तरफ से परियोजनाओं के अलावा पुरस्कार दिए जाने का भी प्रावधान है. इसके लिए पशुपालन और डेयरी विभाग हर साल पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए  गोपाल रत्न और कामधेनु पुरस्कार दिया जाता है. जहां गोपाल रत्न पुरस्कार स्वदेशी नस्लों के गोजातीय पशुओं के पालन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए किसानों को दिया जाता है तो कामधेनु पुरस्कार गोशालाओं और सर्वोत्तम प्रबंधित ब्रीडर्स सोसायटी को दिया जाता है. इस मिशन के तहत 2017-18 से अब तक 22 गोपाल रत्न और 21 कामधेनु पुरस्कार वितरित किए जा चुके हैं.

 

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