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जिस बनारसी पान का पूरा देश दीवाना, जानिए कहां और कैसे होती है उसकी खेती

बनारसी पान की पूरी दुनिया दीवानी है. ऐसा कम ही होता है कि कोई वाराणसी जाने वाला व्यक्ति, वहां के पान का सेवन ना करे. लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि यहां मिलने वाले पान के बेल खेती कहां की जाती है. वाराणसी में जो भी पान आता है वह बिहार के मगध क्षेत्र में उगाए जाते हैं, आमतौर पर इसे मगही पान भी कहा जाता है

Betel Vine Cultivation Betel Vine Cultivation
सचिन धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST
  • बिहार सरकार की तरफ से लीची के साथ पान को भी जीआई टैग मिला हुआ है
  • वाराणसी में जो भी पान आता है उसकी खेती बिहार के मगध में होती है

Betel Vine Cultivation: भारत में पान का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है. कई लोग इसे शौक के लिए खाते हैं, तो धार्मिक आयोजनों में भी पान के पत्तों का काफी महत्व है. देशभर के कई इलाकों में प्रमुखता से पान के बेल की खेती की जाती है. कई राज्य सरकारें पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर भी काम कर रही हैं. बिहार सरकार की तरफ से लीची के साथ पान को भी जीआई टैग मिला हुआ है.

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कहां होती है वाराणसी में मिलने वाले पान की खेती?

बनारसी पान की पूरी दुनिया दीवानी है. ऐसा कम ही होता है कि कोई वाराणसी जाने वाला व्यक्ति, वहां के पान का सेवन ना करे. लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि यहां मिलने वाले पान के बेल की खेती कहां की जाती है. वाराणसी में जो भी पान आता है वह बिहार के मगध क्षेत्र में उगाया जाता है. आमतौर पर इसे मगही पान भी कहा जाता है. बिहार के नालंदा, औरंगाबाद और गया सहित 15 जिलों में इसकी खेती होती है. यहां के तकरीबन 10 हजार परिवारों का भरण-पोषण इसी पर निर्भर है.

कैसे की जाती पान की खेती

बिहार के नालंदा के दुहै-सूहै गांव के रहने वाले अवध किशोर प्रसाद वर्षों से पान की खेती करते आ रहे हैं. इस समय वह 8 डिस्मिल में पान की खेती करते हैं. वह बताते हैं कि पान की खेती के लिए ठंड और छायादार जगह की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त है. इसके लिए हम बांस के माध्यम से बरेजा (छायानुमा संरचना) तैयार करते हैं. ताकि तापमान का संतुलन बना रहे और पान के पौधे को नुकसान ना हो.

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अवध किशोर प्रसाद कहते हैं कि उनके यहां ये खेती जून-जूलाई में शुरू हो जाती है, जबकि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में अगस्त में भी पान के पौधों की रोपाई की जाती है. इसके अलावा कई राज्यों में इसकी खेती फरवरी मार्च से लेकर अगस्त महीने तक की जाती है.

मिट्टी का बेड तैयार कर करते हैं पौधे की रोपाई

पान के पौधों की रोपाई के लिए मिट्टी का बेड तैयार किया जाता है. इसमें जमीन की पहले जुताई की जाती है. फिर मिट्टी से बेडनुमा आकार की संरचना तैयार की जाती है. फिर इसकी हल्की सिंचाई की जाती है. उसके बाद पान के पौधे की रोपाई की शुरुआत होती है. इस दौरान दो पौधों के बीच दूरी का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. यहां किसान कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेमी और पौधे से पौधे की बीच की दूरी 15 सेमी रखते हैं.

खराब हालात में हैं मगही किसान

दुनिया जिस पान की दीवानी है उसे उगाने वाले किसान खराब हालात में हैं. अवध किशोर प्रसाद बताते हैं कि जिस रेट पर पान के पत्तों को हमारे बाप-दादा बेचते थे, उसी रेट पर हमें बेचना पड़ रहा है. दुनिया बदल गई, मंहगाई बढ़ गई, लेकिन हमारी स्थिति नहीं सुधर रही है. वो कहते हैं कि पहले पान की खेती में मुनाफा था, लेकिन अब सरकारी उदासीनता और बढ़ती मंहगाई की वजह से हर साल उनके गांव में दो से तीन किसान इसकी खेती से किनारा कर रहे हैं. पहले उनके गांव में जहां 90 लोग पान की खेती करते थे, अब घटकर 60 ही रह गए हैं.

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