
Cactus Cultivation: कैक्टस के पौधे को ज्यादातर लोगों द्वारा बेकार समझ लिया जाता है. हालांकि, अगर इसकी खेती व्यवसायिक तौर पर किया जाए तो फायदे ही फायदे हैं. बता दें कि कैक्टस का इस्तेमाल पशु चारे, चमड़ा बनाने, दवाईयां और ईधन बनाने तक में इस्तेमाल किया जाता है.
कैक्टस की करें व्यवसायिक खेती
कैक्टस की व्यवसायिक खेती के लिए अपुंशिया फिकस-इंडिका (कैक्टस पीयर और इंडियन फिग यानी नागफनी) सबसे मशहूर है. कैक्टस के इस पौधे में कांटे नहीं होते हैं. वहीं, इसकी खेती में पानी भी ना के बराबर लगता है यानी की सिंचाई की जरूरत ही नहीं पड़ती है. जिससे इसकी खेती की लागत बेहद कम हो जाती है.
पानी का सबसे बढ़िया स्रोत
कैक्टस की सबसे ज्यादा खेती रेगिस्तान में होती है. लेकिन फिर भी पानी का ये सबसे बढ़िया स्रोत माना जाता है. गर्मियों में कैक्टस को पशुओं को खिलाकर उन्हें गर्मी और डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है. इसके अलावा तेल, शैंपू, साबुन और लोशन जैसे सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका उपयोग किया जाता है.
रोपाई से लेकर कटाई तक
कैक्टस की रोपाई बरसात के मौसम ( जून-जुलाई से नवंबर ) में की जाती है. इसकी खेती खारी मिट्टी के लिए भी उपयुक्त है. यह पौधा 5 से 6 महीने के अंतराल पर तैयार हो जाता हैय. इसकी पहली कटाई तब की जाती है, जब पौधा एक मीटर ऊंचाई 5 से 6 महीने के अंतराल में पूरा कर लेता है.
कैक्टस से चमड़ा भी बनाया जाता है
बता दें कि अब कैक्टस से चमड़ा भी बनने लगा हैं. रिसर्च के मुताबिक कैक्टस से तैयार चमड़ा पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता हैं. इसके अलावा जानवरों की बलि चढने से बच जाएगी. इसके अलावा पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा. अंतर्राष्ट्रीय फैशन इंडस्ट्री में कैक्टस लेदर की डिमांड ज्यादा है. रेगिस्तानों में कैक्टस की खेती किसानों के लिए आमदनी का बढ़िया स्रोत साबित हो सकता है.