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खेतों में मजदूरी से लेकर 'लखपति दीदी' तक का सफर, जानें महिला किसान उषा की सफलता की कहानी

Success Story: छत्तीसगढ़ कोंडागांव जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत बादालुर की रहने वाली उषा कोर्राम बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इनके परिवार में कुल 9 सदस्य हैं. लखपति दीदी योजना की मदद से अब वह आर्थिक रूप से मजबूत हो गई हैं. आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.

Lakhpati didi Usha Lakhpati didi Usha
इमरान खान
  • कोंडागांव,
  • 17 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST

छत्तीसगढ़ में एक जिला है कोंडागांव. यहां की रहने वाली उषा देवी की कहानी का जिक्र दिल्ली से लेकर बस्तर के बीहड़ों तक हो रहा है. दरअसल, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उषा का जिक्र किया था. इसके बाद से ही इनके बारे में जानने के लिए लोगों में होड़ मच गई. उषा सफल व्यवसायी बनने से पहले गांव में दूसरों के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने जाती थीं.

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इतिहास से ग्रेजुएट हैं उषा

मजदूर बेटी से लखपति दीदी बनने तक का सफर जानने के लिए आज तक संवाददाता उनके गांव पहुंचे तो उस वक्त वह मवेशियों को चराने जंगल गई हुई थीं. जंगल से वापस आने के बाद उषा ने खास बातचीत की तो पता चला कि वह इतिहास विषय से स्नातक हैं.  प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से की गई तारीफ पर उन्होंने कहा कि परिवार को गर्व हो रहा है कि देश के सर्वोच्च पद में आसीन व्यक्ति ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनकी हौसला अफजाई की है.

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं उषा

कोंडागांव जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत बादालुर की उषा कोर्राम बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इनके परिवार में कुल 9 सदस्य हैं. कृषि भूमि कम होने और कोई रोजगार नहीं होने की वजह से पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. लखपती दीदी योजना की मदद से उनकी आर्थिक स्थिति सही हुई. अब वह लखपति दीदी के तौर पर पहचानी जाने लगी हैं.

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उषा ने कैसे बढ़ाई अपनी आय?

उषा के कंधों पर पूरे घर की जिम्मेदारी थी. वह इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए दूसरों के खेतों में काम करती थीं. अब उषा की लाइफ में बदलाव आ गया है. वह सब्जियों की खेती कर रही हैं. रोजाना हजारों रुपये से अधिक की सब्जियां बाजार में बेच रही हैं.सब्जी उत्पादन के साथ-साथ वह महुआ, साल, ईमली, टौरा का भी संग्रहण कर विक्रय भी कर रही हैं. इससे उन्हें 10 से 12 हजार रुपये की अतिरिक्त आय भी हासिल हो रही है.

अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत

उषा कोर्राम अब गांव के अन्य महिलाएं भी प्रेरणा ले रही हैं. उन्नत तकनीक से खेती किसानी करने के लिए गांव की 50 युवतियां उनसे से खेती-किसानी के गुण सीख रही हैं. प्राकृतिक संसाधनों से जैविक खेती करने के तरीके में माहिर उषा जैविक खेती कर अत्यधिक उत्पादन लेने वाली कृषको में शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उषा का नाम लेने से युवतियों में  खासा उत्साह दिख रहा है. नक्सल प्रभावित मर्दापाल में स्थित उषा के घर में लोगों की आवाजाही भी बढ़ गई है.

 

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